राजिम। कुछ सालों पहले ही एक हिन्दी फिल्म ‘दंगल’ रिलीज हुई थी, जिसमें एक पिता अपनी बेटियों को ‘कुश्ती’ के मैदान में उतारते हैं और उनकी बड़ी बेटी भारत के लिए गोल्ड जीतकर लौटती है। यह महज एक मनोरंजक फिल्म नहीं थी, बल्कि हकीकत पर आधारित फिल्म थी। कुछ ऐसा ही छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के अंतर्गत और छत्तीसगढ़ की देवभूमि राजिम में भी देखने को आया है।
राजिम में खिलावन साहू का परिवार निवासरत है। खिलावन साहू कराटे के खिलाड़ी होने के साथ ही अपनी बेटियों के प्रशिक्षक भी हैं। बेहद ही गर्व का विषय है कि मलेशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में खिलावन साहू और उनकी दोनों बेटियों मोक्षिका साहू व डुनिषा साहू का चयन हुआ है।
अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भले ही उनका चयन पहली बार हुआ है, लेकिन पिता सहित दोनों बेटियां हरफनमौला कराटे खिलाड़ी हैं। इन तीनों ने राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है, तो गोल्ड मेडल भी हासिल किया है। इतना ही नहीं, जर्मनी में आयोजित ऑनलाइन कराटे प्रतियोगिता में भी इन्हें मौका मिल चुका है।
कराटे मास्टर खिलावन साहू का कहना है कि असल में उन्हें प्रेरणा उनके गुरु इंटरनेशनल कराटे मास्टर नीलकंठ साहू से मिली है, जिसके चलते ही आज उन्हें और उनकी बेटियों को यह मुकाम मिला है। खिलावन साहू का कहना है कि आज के परिवेश में सभी को अपनी आत्मरक्षा के लिए कराटे जरूर सीखना चाहिए।