गरियाबंद। छत्तीसगढ़ सरकार की गोबर खरीदी योजना का असर अब धरातल पर साफ दिखाई देने लगा है। गरियाबंद जिला भी इससे अछूता नही है। जिले के कई परिवारों के लिए यह योजना वरदान साबित हो रही है। यहां तक कि कुछ परिवारों की दीवाली भी गोबर की कमाई से ही रोशन होगी।
बुडगेल टप्पा गांव की जय माँ तुलसी स्वसहायता समूह की ग्रामीण महिलाओं ने जीवन मे कभी सोचा नही होगा कि एक दिन गोबर उनकी कमाई का जरिया बनेगा। गांव की आदर्श गोठान में गोबर खरीदी का काम से जुड़ी इस स्वसहायता समूह की 11 महिलाओं के लिए यह काम वरदान साबित हो रहा है। महिलाओं ने 4 दिन की मेहनत से 2 हजार गोबर के दिए बनाकर 6 हजार की कमाई कर डाली। पहली बार मिली कामयाबी से उत्साहित महिलाएं अब जल्द ही गोबर से बने दूसरे उत्पाद बनाकर अपनी कमाई को निरंतर जारी रखने की तैयारी में है।
समूह की अध्यक्ष तुलसी बाई के मुताबिक इस दफा उन्होंने पहली बार गोबर के दिए बनाये है। डिमांड अच्छी है इसलिए उनके अधिकतर दिए बिक गए। उन्होंने जितना सोचा था उससे कही ज्यादा रिस्पॉन्स उन्हें मिला है। इससे ना केवल उनके आमदनी में इजाफा हुआ है बल्कि कुछ नया करने का हौसला भी मिला है।
अमलीपदर क्षेत्र में महिला समूहों को बिहान से जोड़ने, सरकारी योजनाओं की जानकारी देने और उन्हें कुछ नया करने के लिए प्रेरित करने वाली पीआरपी निधि साहू भी काफी उत्साहित है। उन्होंने कहा कि समूहों से जुड़ी महिलाएं बड़ी लग्न से अपना काम करती है उनकी मेहनत की कमाई उनके हाथों में देखकर बेहद खुशी होती है। उन्होंने बताया कि अब वे महिलाओ को गोबर से बने दूसरे उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग शुरू करने वाली है।
जिला प्रशासन की माने तो जिले में जय माँ तुलसी अकेला ऐसा महिला स्वसहायता समूह नही है जो सरकार की गोबर खरीदी योजना से लाभांवित हो रहा हो बल्कि जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल के मुताबिक जिले में ऐसे समूहों की संख्या दर्जनभर के करीब है जिनके लिए यह योजना रोजी रोटी का जरिया बनी हुई है।
गोबर से बने इको फ्रेंडली दिए उपयोग करने से जहां एक और पर्यावरण को फायदा मिलेगा वही कुछ परिवारों की दीवाली जगमग करने में भी सहायक बनेंगे। सरकार की इससे अच्छी योजना ओर क्या हो सकती है।