नई दिल्ली। कोरोना वायरस रोधी पूरी तरह से स्वदेशी टीका कोवैक्सीन को वैश्विक मान्यता मिल गई है। कोवैक्सीन लेने वालों को दीवाली का उपहार देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस टीके को आपातकालीन उपयोग की सूची (ईयूएल) में शामिल करने की मंजूरी दे दी है। डब्ल्यूएचओ की मान्यता मिलने के बाद कोवैक्सीन लेने वाले को अब दूसरे देशों में क्वारंटाइन नहीं होना पड़ेगा।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मान्यता देने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने डब्ल्यूएचओ का आभार जताया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ‘यह उपलब्धि सक्षम नेतृत्व और मोदी जी के संकल्प का प्रतीक, लोगों के विश्वास की कहानी और आत्मनिर्भर भारत की दीवाली है।’ डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डा. पूनम खेत्रपाल सिंह ने भी ट्वीट कर इसके लिए भारत को बधाई दी।
अब तक सात वैक्सीन को मिली मान्यता
डब्ल्यूएचओ से मान्यता वाली कोवैक्सीन दुनिया की सातवीं वैक्सीन बन गई है। इसके पहले डब्ल्यूएचओ से अमेरिका की तीन कंपनियों (फाइजर, माडर्ना और जानसन एंड जानसन), ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका और चीन की दो कंपनियों (सिनोफार्म और सिनोवैक) की वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मिल चुकी है। एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी कोविशील्ड के नाम से बनाती है।
28 दिन के अंतर पर दो डोज के इस्तेमाल की सिफारिश
डब्ल्यूएचओ ने कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मान्यता देने की जानकारी ट्वीट कर देते हुए कहा कि दुनिया भर के चुने हुए विशेषज्ञों वाले तकनीकी सलाहकार समूह (टीएजी) ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को इस्तेमाल के लिए सुरक्षित व कोरोना के खिलाफ प्रभावी पाया है। यही नहीं, डब्ल्यूएचओ के स्ट्रेटजेजिक एडवाइजरी ग्रुप आफ एक्सपर्ट आन इम्युनाइजेशन (सेज) ने भी कोवैक्सीन के डाटा का विश्लेषण किया और 28 दिन के अंतर पर दो डोज के रूप में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए इसके इस्तेमाल की सिफारिश की है।
गर्भवती महिलाओं को इस्तेमाल की इजाजत नहीं
हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने गर्भवती महिलाओं के लिए इसके इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी है। उसने कहा है कि गर्भवती महिलाओं पर इसके प्रभाव और सुरक्षा तय करने के लिए पर्याप्त डाटा नहीं है। गर्भवती महिलाओं पर स्टडी की तैयारी की जा रही है।
डब्ल्यूएचओ की कार्यप्रणाली पर उठ रहे थे सवाल
कोवैक्सीन को मंजूरी मिलने में देरी को लेकर डब्ल्यूएचओ की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे थे। अमेरिकी, ब्रिटिश और चीनी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की तत्काल इजाजत देने के बावजूद डब्ल्यूएचओ कोवैक्सीन को मान्यता देने में हिचकिचाहट दिखाता रहा। यहां तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में जी-20 की बैठक में भी कोवैक्सीन को लेकर डब्ल्यूएचओ के रवैये का मु्द्दा उठाया था।
कोवैक्सीन के उपयोग की अवधि 12 महीने हुई
केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने कोवैक्सीन को उत्पादन के दिन के बाद से 12 महीने तक इस्तेमाल के लिए सुरक्षित करार दिया है यानी इसकी एक्सपायरी डेट 12 महीने कर दी है। भारत बायोटेक की इस वैक्सीन को सबसे पहले उत्पादन के दिन से छह महीने तक उपयोग की अनुमति दी गई थी, जिसे बाद में बढ़ाकर नौ महीने कर दिया गया था।