छत्तीसगढ़। राज्य भर में दिवाली का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है। धनतेरस के साथ शुरू होने वाला यह पर्व भाई दूज के दिन तक चलता रहता है। इस बीच धनतेरस को जहां भगवान धन्वंतरि की तो नरक चौदस को यम पूजा का विधान है।
महालक्ष्मी की पूजा के पश्चात दूसरा दिन गोवर्धन पूजा के लिए निहित होता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक गोवर्धन पूजा के दिन शाम को गोवर्धन पर्वत के पास पूजा की जाती है तो दिन में गौरा गौरी की शोभा यात्रा निकालने का विधान है। इसे शिव की बारात भी कहा जाता है।
यादव समाज के लोग गोवर्धन पूजा के दिन एक साथ शामिल होकर जहां विशिष्ट नृत्य का प्रदर्शन करते हैं तो वही गौरा गौरी की शोभा यात्रा यानी शिव की बारात में नगर अथवा मोहल्ले के लोग शामिल होकर विशेष प्रदर्शन भी करते हैं।
देश भर में दिवाली जहां पटाखों की शोर के साथ मनाई जाती है तो छत्तीसगढ़ अंचल में पारंपरिकता का महत्व देखने को मिलता है। गरीब अमीर इन सबके बीच की गहरी खाई इस दौरान कहीं पर भी नजर नहीं आती है बल्कि स्वच्छ परंपरा का निर्वहन पूरे प्रदेश में एक जैसा देखने में आता है।
कल भाई दूज के साथ देश के सबसे बड़े त्यौहार दिवाली का समापन हो जाएगा। कोरोना काल की वजह से बीते 2 साल तक इस महत्वपूर्ण त्यौहार में भी बाधाओं का असर नजर आया था।