मंजम्मा का जन्म 50 के दशक में बल्लारी जिले के कल्लुकंब गांव में मंजुनाथ शेट्टी के रूप में हुआ था। उन्होंने 10वीं तक पढ़ाई की। अपनी शुरुआती जीवन को लेकर उन्होंने कहा कि 15 साल की उम्र में उन्हें लड़िकयों के साथ खेलना, रहना पसंद था। इस उम्र तक आते-आते उन्होंने खुद को एक महिला के रूप में पहचानना शुरू कर दिया था। उनके हाव-भाव भी लड़कियों से जैसे थे।
किशोरावस्था से ही उनके इस व्यवहार को देख उनके माता पिता काफी परेशान रहने लगे। उन्होंने कई डॉक्टरों को दिखाया, मंदिरों में अनुष्ठान करवाया। लेकिन इन सबसे मंजम्मा में कोई बदलाव नहीं आया। ऐसे में परिजनों को विश्वास हो गया था कि मंजूनाथ में ट्रांसजेंडर वाले गुण हैं। 1975 में वे उन्हें हुलीगेयम्मा मंदिर ले गए। जहां जोगप्पा बनाने की दीक्षा दी जाती है।
बता दें कि जोगप्पा या जोगती, वह ट्रांस पर्सन होते हैं, जो खुद को देवी येलम्मा से विवाहित मानते हैं। ये देवी के भक्त होते हैं। देवी येलम्मा को उत्तर भारत में रेणुका के नाम से जाना जाता है। यहीं से मंजुनाथ शेट्टी का नाम मंजम्मा जोगती हो गया। हालांकि इस बदलाव के बाद उन्हें घर जाने की अनुमित नहीं मिली।