आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह मामले में फंसे निलंबित ADG जीपी सिंह की मुश्किलें फिलहाल कम होती नहीं दिख रही हैं। हाईकोर्ट में मंगलवार को इस मामले में दो घंटे बहस चली। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। IPS जीपी सिंह ने कोर्ट में नई याचिका पेश करते हुए आपराधिक प्रकरण निरस्त किए जाने की मांग की थी। इसमें कहा गया कि FIR से पहले शासन ने कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच में हुई।
अधिवक्ता आशुतोष पांडेय के माध्यम से हाईकोर्ट में पेश की गई याचिका में कहा गया कि धारा 17 (क) के तहत FIR से पहले सामान्य प्रशासन विभाग और केंद्रीय कार्मिक विभाग से अनुमति लेना जरूरी है, लेकिन दोनों जगह से नहीं ली गई। उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के तहत केंद्रीय कार्मिक विभाग व गृह मंत्रालय से जानकारी ली, तब पता चला कि कार्रवाई करने के पहले प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। लिहाजा, याचिका में FIR को निरस्त करने की मांग की गई है। साथ ही अंतरिम राहत के तौर पर मामले की सुनवाई होते तक FIR पर स्टे देने की मांग की गई।
19 साल की सेवा में मिली सराहना, अब FIR
याचिका में उन्होंने बताया कि IPS के पद पर 19 साल से सेवाएं दी हैं। इस दौरान राज्य सरकार ने उनके उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की और उनके बेहतर कार्यों को देखकर ही कई अवार्ड भी दिए गए। अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि रातों रात उन्हें भ्रष्टाचार का आरोपी बना दिया गया। याचिका में उन्होंने कहा है कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले के साथ ही राजद्रोह के प्रकरण में सुनियोजित तरीके से फंसाया गया है।
जांच में करेंगे सहयोग
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य शासन ने IPS अफसर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ही धारा 17(क) का प्रावधान तय किया गया है। यह केंद्र सरकार की ओर से बनाया गया नियम है। यह नियम इसलिए बनाया गया है कि कोई भी अफसर जांच व कार्रवाई के नाम पर प्रताड़ना के शिकार न हो। लेकिन, शासन ने इस प्रक्रिया को ही दरकिनार कर दिया है। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से कहा गया कि जीपी सिंह पर यह नियम लागू नहीं होता।
सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली थी राहत
IPS जीपी सिंह ने हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को हाईकोर्ट स्थनांतरित कर दिया था। इस बीच जीपी सिंह के अधिवक्ता ने याचिका को वापस ले लिया। यही वजह है कि इस बार उनकी तरफ से दोबारा धारा 482 के तहत याचिका दायर कर आपराधिक प्रकरण को चुनौती देते हुए निरस्त करने की मांग की है।
पहले स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की थी मांग
जीपी सिंह के अधिवक्ता ने पूर्व में आपराधिक प्रकरण को रिट याचिका के तहत चुनौती दी थी। इसमें उन्होंने राज्य शासन की कार्रवाई को अवैध व षडयंत्र बताते हुए किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच की मांग की थी। उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरण को निरस्त करने या फिर स्टे लगाने के संबंध में भी आग्रह नहीं किया था। अब इस याचिका को वापस ले कर नई याचिका लगाई गई है।