कोरबा। पुलिस अधिकारियों के वर्दी में अपने अक्सर सख्त रवैये का अधिकारी देखा होगा। लेकिन आज हम जिस अधिकारी के बारे में जिस अधिकारी के बारे में बताने जा रहे हैं, वो ऐसे अधिकारियों से भिन्न है।
हम बात कर रहे हैं कोरबा के पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल की। सामान्य परिवार से आने वाले भोजराम पटेल के जहां भी कदम पड़ें है वहां उन्होंने अपनी संवेदनशीलता से सबका दिल जीत लिया है।
जी हां ! बुजुर्गों को लेकर भोजराम पटेल के भीतर एक अलग सम्मान है तो वहीं बच्चों से खासा लगाव है। इसका प्रमाण समय-समय में देखने को मिलता है। कोरबा पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने जनदर्शन का कार्यक्रम आयोजित किया था।
इस जनदर्शन कार्यक्रम में जिले के दूर-दराज इलाके से लोग अपनी समस्या लेकर आये थे। इनमें से एक थे 88 वर्षीय रामपुर निवासी मन्नू लाल मिश्र, जो अपनी अपनी व्यथा लेकर एसपी जनदर्शन में पुहंचे।
इस दौरान कहीं से एसपी भोजराम को पता चला कि बुजुर्ग मन्नू लाल ने सुबह से कुछ भी नहीं खाया है तो खुद अपने हाथ से उन्हें नाश्ता दिया और छत्तीसगढ़ी में बोले ..ऐला पूरा खाना हे तब तोर समस्या ला सुनबो हमन ह, अऊ ते नई खाबे त तोर समस्या ल हमन सुनन नई..है कि नहीं..
नाश्ता कराकर एसपी ने बुजुर्ग की समस्या सुनी। मन्नू लाल ने बताया कि उनके 4 बेटे हैं। लेकिन उनकी बीमार पत्नी का कोई ख्याल नहीं रख रहा है। इसके बाद एसपी भोजराम पटेल ने तत्काल भरण पोषण एक्ट के तहत मामला दर्ज कर तत्काल चारों बेटों को परिवार परामर्श केंद्र में बुलाने के निर्देश दिये। इसके साथ ही बुजुर्ग के पैर में चप्पल न होने पर एसपी ने चप्पल दिलाने की बात कही।
भोजराम पटेल का यह बुजुर्ग के प्रति ऐसा व्यवहार देखकर सभी ने कहा ‘वाह एसपी हो तो ऐसा’। पटेल का यह व्यवहार पहली दफा नहीं है। इससे पहले वे गरियाबंद जिले के एसपी थे। यहां भी वे इसी तरह से बुजुर्गों की सेवा और बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने काम करते थे। कई बार उन्होंने राह चलते वृद्ध महिलाओं को चप्पल और साड़ी भेंट की है। पटेल के अधीनस्थ कर्मचारी बताते हैं कि वे जरुरतमंद लोगों के लिए अपनी गाड़ी में कुछ न कुछ साथ लेकर चलते है। सच में आईपीएस भोजराम पटेल सख्त रवैये के अधिकारियों के लिए एक मिसाल है।