सरकार बनने के 2 साल 11 महीने बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कैबिनेट में बड़ा फेरबदल हो रहा है। मंत्रिमंडल फेरबदल के जरिए जातीय, क्षेत्रीय और कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी सियासी समीकरण साधने की कोशिश की गई है। गहलोत ने दो पद वाले 3 मंत्रियों को छोड़ किसी को ड्रॉप नहीं किया है, साथ ही 11 नए कैबिनेट मंत्री और 4 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। तो दूसरी तरफ सीएम को लेकर हो रही खींचतान भी समाप्त हो गई है। सरकार में सचिन पायलट के समर्थकों को जगह मिलने के बाद उन्होंने कहा है कि अब उन्हें कोई गुरेज नहीं है।
कैबिनेट में इन्हें मिली जगह
तीन दलित मंत्रियों ममता भूपेश, भजनलाल जाटव, टीकाराम जूली को राज्य मंत्री से प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री बनाया है। कैबिनेट में गोविंद मेघवाल को मिलाकर चार दलित चेहरे हो गए हैं। गहलोत सरकार में पहली बार 4 दलित मंत्री बनाए गए हैं। हर चेहरे के पीछे अलग सियासी समीकरण साधने की कोशिश है। हालांकि अभी भी कई सियासी पेच सुलझने बाकी रह गए हैं।
फेरबदल में कांग्रेस के कोर वोट बैंक का खास ध्यान रखा है। शेयरिंग फॉर्मूला से पायलट कैंप के विधायकों को भी नए मंत्रिमंडल में जगह मिली है, जबकि पायलट के नजदीकी विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा की फिर से एंट्री हुई है। जाट नेता के तौर पर रामलाल जाट को मौका दिया गया है। जाट ने अपनी करियर की शुरुआत कांस्टेबल से की थी। अब वे सीएम के सबसे खास माने जाते हैं।