1 साल में 50 से 500 चाय तक पहुँचे । आज है लगभग 70 से 80 हजार महीने का व्यवसाय ।
गरियाबन्द- घरेलू रोजमर्रा के सामान व पिजा बर्गर की आन लाइन होम डिलवरी तो आपने देखा सुना व आजमाया ही होगा,लेकिन कोल करते ही 10 मिनट के भीतर दफ्तर ,महफ़िल हो या किसी जलसे जुलूस में गर्म व स्वादिष्ट चाय मिल जाये ऐसा कम ही देखने को मिलता है।गरियाबन्द के सरकारी दफ्तर,धरना स्थल हो या फिर दोस्तो की चौपाटी यंहा उमराव के मोबाइल चाय की जोरदार चलन है।
42 वर्षीय उमराव सिन्हा अपने भतीजे के साथ मिल कर ऑर्डर पर दूध वाली स्पेशल चाय के अलावा कालीचाय जायकेदार मशाला हो या काढ़ा केवल 5 रुपये हाफ में तत्काल उपलब्ध करा देते हैं। उमराव ने बताया कि वर्तमान में वे महीने में 70 से 80 हजार की चाय बेच कर 12 से 15 हजार की कमाई कर लेते हैं।परिवार में पत्नी व एक बेटा है,अपने होम डिलवरी के ब्यवसाय में भतीजे को भी जोड़ कर रोजगार दिया है।
कोरोना कॉल में काढा पिला कर शुरू किया ब्यवसाय-
साल भर पहले तक उमराव बस स्टैंड में लगे चाय पान की दुकान से गुजारा चलाता था।पहली लहर में जब बाजार लॉक हुआ तो दो वक्त का गुजारा मुश्किल हो गया।कोरोना काल में संघर्ष कर रहे इस परिवार ने ड्यूटी पर लगे जवानों को घूम घूम कर चाय व काढा पिलाना शुरू किया। पहले दिन 20 से 30 कप की बिक्री हुई,सप्ताह भर ऐसे ही चलता रहा।बन्द पड़े बाजारों के बीच उमराव के सुरक्षात्मक तरीके से चाय काढ़ा बेचने के तरीके सब को भा गया।महीने भर में उमराव के मोबाइल पूरे नगर भर में बंट गया।चाय की बिक्री 50 से बढ़कर 500 हाफ तक पहुँच गया।पसन्द व स्वाद के मुताबिक आल्ग अलग थर्मस में लेकर उमराव हर जगह नजर आते हैं। उमराव सिन्हा बताते है गरियाबंद जैसी छोटे शहर में ऑनलाइन चाय बेचना शुरू में थोड़ा मुश्किल लग रहा था क्योंकि यँहा ज्यादातर लोग फोन लगाने के बजाय आस पास की दुकानों से ही चाय पीना पसंद करते थे लेकिन फिर धीरे धीरे लोगो को दूध और लाल चाय का स्वाद पसंद आने लगा और मोबाइल लेकर नंबर सेव करने लगे ।