बिलासपुर। तखतपुर के बेटे अभिनव ने पूरे देश में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है. जी हां तखतपुर के रहने वाले अभिनव सिंगरौल (abhinav singhrol) का भारत के राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान “इसरो” (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) में चयन हुआ है..इसकी सूचना मिलते ही अभिनव के माता-पिता सहित पूरे परिवार में ख़ुशी का माहौल है. वही अभिनव का कहना है की उनके माता- पिता के आशीर्वाद और दोस्तों का भरोसा उन्हें इस मुकाम में पहुँचने में बेहद मददगार रहा..
बता दें कि, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन “इसरो” (Indian Space Research Organisation, ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है.जिसका मुख्यालय बंगलौर में है.इसरो संस्थान में मुख्य रूप से भारत के लिये अंतरिक्ष सम्बधी तकनीक उपलब्ध करवाना है।
अभिनव सिंगरौल ने प्रारंभिक शिक्षा भरनी से की है। जिसके बाद (BHILAI INSTITUTE OF TECHNOLOGY) से B.TECH किया है. इसके साथ ही उन्होंने कई इंट्रेंस परीक्षाओं की तैयारी की.
बता दें कि जनवरी 2020 में आयोजित इसरो की परीक्षा में कुल 650 अभ्यर्थियों का चयन हुआ. जिसमे तखतपुर के अभिनव सिंगरौल ने पूरे भारत में 30वी रैंक हासिल की है. जिसमें 128 मैकेनिकल सीट थी। वही 1300 लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया.जहां भोपाल में इंटरव्यू में अभिनव का चयन हुआ।
अभिनव सिंघ्रोल ने अपने “इसरो” तक के सफ़र को साझा करते हुए बताया कि, उनका टेक्निकल फील्ड में शुरू से ही रुझान रहा है। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा भरनी से की है। वही “BHILAI INSTITUTE OF TECHNOLOGY” से M.TECH किया और उसी वक़्त से यह डिसाइड कर लिया था कि उन्हें अब टेक्निकल फील्ड में जाना है.
टेक्निकल और इंट्रेंस परीक्षाओं पर फोकस करते हुए अभिनव ने इसरो की परीक्षा में सफलता हासिल की…आगे उन्होंने कहा कि “रास्ते पर चलते रहो मंजिल एक न एक दिन जरूर मिलेगी” इस सोच के साथ वे आगे बढ़ते रहे. उन्होंने आगे अपने काम को लेकर बताया कि वे अब इसरों बेंगलुरु में साइंटिस्ट-C के पद पर कार्य करेंगे। इसरो में काम करने को लेकर वे बेहद एक्साइटिड है.
वही ऐसे समय में मोटिवेशन की बहुत ज्यादा जरूरत पड़ती है. उस समय में मेरी दोस्त सौम्या बाजपेयी ने हमेशा मुझे मोटिवेट किया, वही मेरे कुछ टीचर्स अरविन्द राय, राकेश तलरेजा और मुकेश यादव सर ने मुझे एक्साम की तैयारी में बहुत सहयोग किया. मेरे टीचर ने मुझे फोन करके इसरो में चयन की जानकारी दी. जिसके बाद मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। मेरे माता पिता बहुत खुश हैं।