देश में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट की दस्तक के बीच नेशनल सुपरमॉडल कमेटी ने अंदेशा जताया है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से अगले साल की शुरुआत में देश में तीसरी लहर आ सकती है। अभी देश में रोजाना करीब कोरोना वायरस के 7500 मामले सामने आ रहे हैं। घातक डेल्टा वायरस की जगह अब ओमिक्रॉन लेता जा रहा है।
ओमिक्रॉन वायरस की तीसरी लहर आएगी लेकिन कम घातक होगी
कमेटी के अध्यक्ष विद्यासागर ने कहा कि भारत में ओमिक्रॉन वायरस की तीसरी लहर आएगी लेकिन ये दूसरी लहर के मुकाबले कम घातक होगी। उन्होंने कहा कि अगले साल फरवरी की शुरुआत में तीसरी लहर आने का अंदेशा है। हालांकि ये दूसरी लहर के मुकाबले हलका होगा लेकिन ये आएगा जरूर।
आईआईटी हैदराबाद में प्रोफेसर विद्यासागर ने कहा कि इसके कम ही आसार हैं कि देश में दूसरी लहर से अधिक दैनिक मामले सामने आएंगे। सरकार की तरफ से सभी व्यस्कों को मार्च से ही टीका लगाने का अभियान जारी है जब डेल्टा वैरिएंट ने दस्तक दी थी। डेल्टा वायरस ने तभी लोगों पर हमला कर दिया था जब टीका लगने की शुरुआत ही हुई थी।
बड़ी संख्या में टीकाकरण से मुश्किलों से निपटने में होगी आसानी
उन्होंने कहा कि सीरो सर्वे के मुताबिक, एक छोटा हिस्सा डेल्टा वायरस के संपर्क में नहीं आया था। अब हमारे पास 75 से 80 फीसदी सीरो प्रीवेलेंस है। करीब 85 फीसदी व्यस्कों को पहला टीका लग चुका है और 55 फीसदी व्यस्क दोनों डोज ले चुके हैं। प्रो. विद्यासागर ने कहा, इसलिए तीसरी लहर में दूसरी लहर की तरह बड़ी संख्या में दैनिक मामले सामने नहीं आएंगे। हमारे पास अब इससे निपटने के लिए अधिक अनुभव भी है इसलिए हमें ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी।
इम्युनिटी पर निर्भर करेगी संक्रमण के मामलों की संख्या
इस संबंध में और जानकारी देते हुए प्रो. विद्यासागर ने कहा कि संक्रमण की संख्या दो तथ्यों पर निर्भर करेगी, पहला ये कि ओमिक्रॉन नेचुरल इम्युनिटी को कितना भेदने में सक्षम होगा जिसे डेल्टा से लड़ाई में हासिल किया गया था। दूसरा, वैक्सीनेशन के बाद भी ओमिक्रॉन किस स्तर तक इम्युनिटी को प्रभावित करने में सक्षम होगा। ये दोनों ही तथ्य अभी सामने नहीं आए हैं। इसलिए अभी तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बुरी से बुरी स्थिति में भी भारत में 2 लाख से अधिक दैनिक मामले सामने नहीं आएंगे।
पैनल के एक और सदस्य मनिंदा अग्रवाल ने एएनआई से कहा कि भारत में एक से दो लाख तक दैनिक मामले आ सकते हैं जो दूसरी लहर से कम ही है। ब्रिटेन में अधिक टीकाकरण हुआ है लेकिन निम्न सीरो प्रीवेलेंस है. जबकि भारत में उच्च सीरो प्रीवेलेंस है जिससे अधिक इम्युनिटी मिलती है, साथ ही टीकाकरण भी बड़ी संख्या में हुआ है।