आगरा। मैनपुरी में सर्दी की शुरुआत के साथ मासूम बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ गया है। दिसंबर की शुरुआत के साथ सर्दी, जुकाम और बुखार की वजह से इसकी चपेट में आने वाले बच्चों की संख्या में भी इजाफा हो गया है। पिछले 30 दिनों में लगभग दर्जन भर बच्चों की निमोनिया की चपेट में आने से मौत हो चुकी है। मैनपुरी जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन दर्जन भर बच्चे ऐसे आ रहे हैं, जिनमें निमोनिया के शुरुआती लक्षण मिलते हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डा. डीके शाक्य का कहना है कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होती है। ऐसे में मौसम का परिवर्तन सबसे पहले उन्हें अपनी चपेट में लेता है। सर्दी में जुकाम की वजह से जकडऩ बढ़ती है, जिससे बच्चों को सांस लेने में परेशानी होती है। लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है।
केस एक
एलाऊ थाना क्षेत्र के गांव अंबरपुर निवासी दीपक के तीन माह के पुत्र उमेश कुछ दिनों से बुखार से बीमार चल रहे थे। स्वजन झोलाछाप से उपचार दिला रहे थे। 17 दिसंबर को तबियत ज्यादा बिगडऩे के बाद स्वजन बालक को इमरजेंसी लेकर पहुंचे थे जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
केस दो
कस्बा एलाऊ निवासी सोमवीर के आठ माह के पुत्र यश को भी बुखार और जुकाम की शिकायत थी। स्वजन शुरुआत में तो झोलाछाप से उपचार दिलाते रहे। स्थिति बिगड़ी तो 14 दिसंबर को इमरजेंसी लेकर पहुंचे जहां चिकित्सकों ने मासूम को मृत घोषित कर दिया था।
जिला अस्पताल में व्यवस्था ज्यादा बेहतर नहीं है। इमरजेंसी में गंभीर हालत में आने वाले बच्चों के उपचार के लिए कोई भी बाल रोग विशेषज्ञ तैनात नहीं हैं। ऐसे में ईएमओ द्वारा ज्यादातर को रेफर कर दिया जाता है। कई बार उपचार में देर की वजह से पीडि़त बच्चों की मौत भी हो जाती है।
जिला अस्पताल की ओपीडी और इमरजेंसी में प्रतिदिन ऐसे कई बच्चे आते हैं, जिनकी हालत निमोनिया या बुखार की वजह से गंभीर होती है। ऐसे सभी गंभीर बच्चों को भर्ती कर उपचार देने के लिए पीकू वार्ड की सुविधा तो है, लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा अभी तक किसी भी बच्चे को यहां भर्ती नहीं किया गया है।
जिला अस्पताल के अलावा सभी सीएचसी पर बच्चों को भर्ती करने की सुविधा है। लोगों से अपील है कि किसी भी प्रकार की समस्या होने पर झोलाछाप के पास न जाकर जिला अस्पताल ही आएं। हमारे यहां अभी तक किसी भी बच्चे की निमोनिया से मौत नहीं हुई है। जो भी इमरजेंसी में मृत आए, स्वजन उन्हें झोलाछाप से उपचार दिलाते रहे हैं।