गरियाबन्द- 42की उम्र में अब तक 54 बार रक्तदान कर चुके,21 साल पहले उठाया था बीड़ा अब तक 700 से भी ज्यादा लोगो को रक्त उपलब्ध करवाने का जरिया भी बने बिलभद्र यादव।देवभोग में ब्लड बैंक नही खुलते तक विवाह नहीं करने की भीष्म प्रतिज्ञा में आज भी कायम हैं।
देवभोग समेत 40 किमी की दूरी में बसे किसी भी जरूरतमंद या मरीज को ब्लड की आवश्यकता होती है तो,देवभोग में रहने वाले 42 वर्षीय बिलभद्र यादव को कॉल करते हैं।रक्तदान वीर के नाम से पूरा इलाका इन्हें जानता है।
27साल पहले जब बिलभद्र कि उम्र 19 साल की थी तब उन्होंने पहला रक्तदान ,अपने परम मित्र सुभाष सिंदूर की माँ सावित्री बाई को किया था।अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से देवभोग के लिए ब्लड बैंक 221 किमी दूर रायपुर ही एक मात्र स्थान था।चिकित्सा सुविधा के लिए तब लोग ओड़िसा के कालाहांडी जीले पर निर्भर थे।नजदीकी ब्लड बैंक 60 किमी दूर भवानीपटना में था,लेकिन वँहा भी दीगर राज्य के लोगो को ब्लड तब तक नही दी जाती थी,जब तक बदले में कोई दान न कर दे।बिलभद्र ने मित्र की माँ के लिए पहला रक्तदान किया था।तब से जरूरतमंदों को रक्तदान करने का सिलसिला चलता रहा,बिलभद्र ने अंतिम बार 4 नंवबर को गुढ़ियारी निवासी एक मरीज को रक्तदान कर सर्वाधिक 54 बार रक्त दान करने का रिकार्ड बनाया है। चिकित्सकीय सलाह के चलते हर तीन माह के बाद किसी न किसी जरूरत मंद को रक्तदान करते आ रहे हैं।
ब्लड बैंक खुलने पर ही विवाह की भीष्म प्रतिज्ञा-जागरूकता की कमी के चलते 10 साल पहले तक यंहा गिनती के लोग ही रक्तदान करते थे। 12 वी तक पढ़े लिखे इस सख्स ने देवभोग में ब्लड बैंक की स्थापना के लिए लगातार सरकारों से पत्राचार किया,बैंक के अभाव में रक्त के लिए जूझते व मरते लोगो को नजदीक से देखा। स्वास्थ्यगत कारणो से खुद न दे सके तो रक्तदान करने वाले ढूंढने में मरीज के परिजनों की मदद करते रहे।30 की उम्र में बिलभद्र ने शपथ भी ले लिया कि जब तक देवभोग में ब्लड बैंक की स्थापना नही होगी विवाह नही करूँगा।जिले में गरियाबन्द में ब्लड स्टोरेज खुल गया।16 किमी दूर ओड़िसा के धरमगढ़ में भी ब्लड बैंक खुला,लेकिन देवभोग में नही खुलने के कारण आज भी अपनी प्रतिज्ञा पर कायम हैं।
वट्सप ने आसान कर दिया चलते फिरते ब्लड बैंक के मिशन को- हर हाथ में मोबाइल व व्हाट्सप्प नेटवर्क सिस्टम ने बिलभद्र के रक्तदान मिशन को आसान कर मरीजों के लिए राहत का काम किया।पिछले 7 साल में इलाके में रक्तदान करने वाले 100 यूवक बिलभद्र से वट्सप के माध्यम से जुड़ गए।जरूरतमंद की कॉल आते ही मेसेज ग्रुप में डाल देते हैं ,विभिन्न ब्लड ग्रुप के सदस्य है जो एक रोटेशन में बारी बारी से जरूरत के ग्रुप के आधार पर ब्लड देने तैयार हो जाते है। जरूरतमंद की सूचना मिलते ही एक से दो घण्टे के भीतर रक्तदाता तैयार हो जाता है,अधिकतर पेसेंट धर्मगढ़ अस्पताल में पहूँचते है,ज्यादातर जरूरत मंद गरीब तपके के होते हैं।ऐसे में रक्तदात स्वयं के खर्च पर धर्मगढ़ पहूच कर ब्लड डोनेट कर लेता है। बिलभद्र को चलता फिरता ब्लड बैंक भी कहा जाता है ।