नई दिल्ली। तेलुगु सिनेमा में धूम मचा रही अल्लू अर्जुन की ‘पष्पा द राइज’ हिंदी भाषी दर्शकों के बीच भी अपना दमखम दिखा रही है। फिल्म के हिंदी वर्जन ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है और अल्लू अर्जुन के स्टारडम को साबित किया है। खास बात यह है कि मुकाबले में तमाम चर्चित और सितारों से सजी फिल्में होने के बावजूद पुष्पा सधी हुई रफ्तार से आगे बढ़ रही है, जिसके चलते 10 दिनों में फिल्म ने 37 करोड़ से अधिक जमा कर लिये। पुष्पा ने पहले 10 दिनों की कमाई के मामले में साउथ की एक और बेहद चर्चित फिल्म केजीएफ चैप्टर 1 को पीछे छोड़ दिया है।
दूसरे वीकेंड में बाकी दिनों की बात करें तो शुक्रवार (24 दिसम्बर) को फिल्म ने 2.31 करोड़ और शनिवार (25 दिसम्बर) 3.75 करोड़ का नेट कलेक्शन किया था, जिसे मिलाकर दूसरे वीकेंड में पुष्पा द राइज (हिंदी) ने 10.31 करोड़ जमा किये। गौरतलब है कि ओपनिंग वीकेंड में फिल्म ने लगभग 12 करोड़ का कलेक्शन किया था। केरल में पुष्पा ने 10 दिनों में 10.15 करोड़ का ग्रॉस कलेक्शन किया है।
बॉलीवुड के लिए पुष्पा द राइज एक सरप्राइज के तौर पर उभरी है। यह उम्मीद शायद ही किसी ने की होगी कि बिना किसी शोर-शराबे के आयी पुष्पा हिंदी भाषियों के बीच इतनी लोकप्रियता हासिल कर लेगी। वो भी तब, जबकि अल्लू अर्जुन की यह पहली फिल्म है, जो तेलुगु के साथ हिंदी में भी बड़े पैमाने पर रिलीज की गयी।
हर दिन 3.72 करोड़ की कमाई
पुष्पा 17 दिसम्बर को तेलुगु के साथ हिंदी भाषा में भी रिलीज की गयी थी। 26 दिसम्बर (रविवार) को 4.25 करोड़ के नेट कलेक्शन के साथ पुष्पा ने बॉक्स ऑफिस पर 10 दिनों का सफर पूरा कर लिया और नेट कलेक्शन 37.20 करोड़ पर पहुंच गया। यानी पुष्पा ने प्रतिदिन 3.72 करोड़ का कलेक्शन हिंदी भाषी सिनेमाघरों में किया है। ट्रेड जानकारों की मानें तो फिल्म सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों के साथ छोटे शहरों और कस्बों में बेहतरीन कारोबार कर रही है।
केजीएफ चैप्टर 1 को छोड़ा पीछे
अब अगर पिछले तीन सालों में हिंदी में रिलीज हुई दक्षिण भारतीय फिल्मों की बात करें तो इनमें सबसे अधिक चर्चा 2018 में आयी कन्नड़ फिल्म केजीएफ चैप्टर 1 की होती है, जिसका सीक्वल केजीएफ चैप्टर 2 अगले साल रिलीज हो रहा है। पुष्पा ने केजीएफ चैप्टर 1 को भी पीछे छोड़ दिया। यश स्टारर फिल्म के हिंदी वर्जन ने रिलीज के 10 दिनों में लगभग 27 करोड़ का नेट कलेक्शन बॉक्स ऑफिस पर किया था। हालांकि, तब कोरोना पैनडेमिक जैसी कोई चुनौती भी नहीं थी।