हरियाणा की खट्टर सरकार का कुनबा और बड़ा हो गया है। मंगलवार शाम दो और विधायकों को मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई। नए घटनाक्रम में बीजेपी कोटे से कमल गुप्ता तो जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) से देवेंद्र सिंह बबली को मंत्री बनाया गया है। अब खट्टर सरकार में 14 मंत्री हो गए हैं। इनमें 10 बीजेपी के कोटे से जबकि 3 जेजेपी के कोटे से मंत्री बनाए गए हैं। जेजेपी के अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला खुद डिप्टी सीएम का काम देख रहे हैं।
दो साल में किए गए दूसरे विस्तार में हिसार से भाजपा के विधायक डॉ. कमल गुप्ता और टोहाना से जजपा के विधायक देवेंद्र सिंह बबली को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने यहां हरियाणा राजभवन में आयोजित एक समारोह में उन्हें शपथ दिलाई। गुप्ता ने संस्कृत में शपथ ली, जबकि बबली ने हिंदी में शपथ ली। समारोह में खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला सहित अन्य नेता भी मौजूद थे।
दो विधायकों के शपथ लेने के बाद, मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद में सदस्यों की संख्या 14 हो गयी, जोकि ऊपरी सीमा भी है। मंगलवार को हुए मंत्रिपरिषद विस्तार के बाद भाजपा के मुख्यमंत्री सहित 10 मंत्री हैं। जबकि जजपा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला सहित तीन मंत्री हैं। रंजीत सिंह चौटाला मंत्री के रूप में शामिल एकमात्र निर्दलीय विधायक हैं।
अक्टूबर 2019 के चुनाव में भाजपा को राज्य विधानसभा की 90 सीटों में से 40 सीट मिली थीं, लेकिन बहुमत नहीं मिला था। बीजेपी ने जजपा के साथ चुनाव बाद गठबंधन किया, जिसके 10 विधायक हैं। भाजपा ने जजपा विधायकों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई थी।
संघ के करीबी माने जाते हैं कमल गुप्ता
हिसार के विधायक कमल गुप्ता को संघ का करीबी माना जाता है। उन्होंने 2014 और 2019 विधानसभा चुनाव में हिसार सीट से जीत का परचम लहराया। कमल गुप्ता पेशे से डॉक्टर हैं। उनका प्लस प्वाइंट 2014 में मशहूर बिजनेस वुमैन सावित्री जिंदल को हराना रहा। हिसार में एक तरह से जिंदल परिवार का कब्जा रहा था। कमल ने वर्चस्व को खत्म किया था। हालांकि, उन्हें पूरा श्रेय नहीं दे सकते, क्योंकि तब मोदी लहर थी।
बीजेपी अध्यक्ष को धूल चटा चुके हैं बबली
देवेंद्र सिंह बबली फतेहाबाद जिले की टोहाना विधानसभा से जजपा के विधायक हैं। पेशे से वह बिजनेसमैन हैं। उनकी खासियत रही कि भाजपा तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष व विधायक सुभाष बराला को हराया। 2019 में वो पहली बार विधायक बने थे। देवेंद्र पहले कांग्रेस में थे लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने जजपा का दामन थाम लिया।