
Omicron Today News इंसान के शरीर में जब इम्यूनिटी डिवेलप immunity development होने लगती है, चाहे वह नेचरल से हो या वैक्सीन vaccine से बनने वाली तो इससे पार पाना वायरस के लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में खुद को बचाए रखने के लिए कोरोना अपना रंगरूप बदलने लगता है।
कोरोना के खौफ का जो सिलसिला 2020 के मार्च-अप्रैल से शुरू हुआ था, वह बीच के कुछ महीनों में धीमा जरूर पड़ा लेकिन ओमीक्रोन वेरियंट आने के बाद दोबारा दस्तक देने लगा है। ऐसे में सवाल कई हैं: क्या ओमीक्रोन इतना खतरनाक है कि इससे डरा जाए, खतरनाक कहेंगे किसे, यह बार-बार नया वेरियंट new variant कहां से आ जाता है, भारत में यह कितना असर डाल पाएगा? और ऐसे ही कितने सवाल जेहन में उठते रहते हैं। एक्सपर्ट्स से बात करके इन सवालों के जवाब दे रहे हैं
सबसे खास बातें
1. ओमीक्रोन वेरियंट कितना खतरनाक हो सकता है, यह ठीक-ठीक बताने के लिए हमारे पास पर्याप्त डेटा नहीं है। 1 से 2 हफ्ते में इस बात का पता लग जाएगा। लेकिन हमारी तैयारी सिर्फ ओमीक्रोन के लिए ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि आने वाले समय में ओमिक्रॉन जैसे दूसरे कई वेरियंट आ सकते हैं। इसलिए अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करना सबसे जरूरी है। एक एनालिसिस यह भी है कि साउथ अफ्रीका में उन लोगों को ओमिक्रॉन ज्यादा परेशान नहीं कर पाया जिन्हें पहले कोरोना हो चुका था और नेचरल इम्यूनिटी मिल चुकी है। इसी आधार पर भारत के लिए भी अनुमान लगाया जा रहा है कि अपने देश में भी डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरियंट की वजह से यहां भी लोगों को नेचरल इम्यूनिटी काफी मिल चुकी है।
2.यह भी मुमकिन है कि ओमीक्रोन ऐक्टिव ज्यादा हो और इसके गंभीर होने की आशंका कम हो। वैसे सिर्फ ओमीक्रोन के स्पाइक प्रोटीन में ही 30 से ज्यादा म्यूटेशंस हुए हैं। पिछले वेरियंट की तुलना में इसके ऐसे रिसेप्टर से चिपकने की क्षमता बढ़ गई है।
3. इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए हर दिन 45 से 60 मिनट की फिजिकल ऐक्टिविटी जरूर करें। शरीर में विटामिन्स की कमी न हो इसके लिए रोजाना 2 कटोरी हरी सब्जियां और 2 मौसमी ताजे फल जरूर खाएं। साथ ही रोजाना 35 से 40 मिनट धूप का सेवन करें।
4. मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को भूले नहीं। यह वायरस के साथ पलूशन से भी बचाव करता है। साथ ही दमा और टीबी जैसी बीमारी में भी मास्क काम आता है।
क्या है कोरोना वायरस में बार-बार होने वाला बदलाव?
बदलाव यानी म्यूटेशन। ऐसा नहीं है कि यह बदलाव सिर्फ वायरस में ही होता है। कैंसर होना भी अपने आप में एक तरह का म्यूटेशन है। फर्क सिर्फ इतना है कि कैंसर की वजह से हम बीमार होते हैं और वायरस म्यूटेशन अपने बचाव के लिए करता है। कोरोना वायरस में भी यही हुआ है। इंसान के शरीर में जब इम्यूनिटी डिवेलप होने लगती है, चाहे वह नेचरल से हो या वैक्सीन से बनने वाली तो इससे पार पाना वायरस के लिए मुश्किल हो जाता है। ऐसे में खुद को बचाए रखने के लिए कोरोना अपना रंगरूप बदलने लगता है। अब तक कोरोना में कई हजार म्यूटेशन हो चुके हैं, लेकिन ज्यादातर ऐसे म्यूटेशन थे जो जल्द ही अपने आप खत्म हो गए। हां, डेल्टा, डेल्टा प्लस और ओमिक्रॉन जैसे कुछ मजबूत वेरियंट्स लंबे समय के लिए रह जाते हैं और हमारे लिए समस्या पैदा कर देते हैं। अब तक कोरोना के डेल्टा प्लस वेरियंट में सबसे ज्यादा 25 म्यूटेशन हुए थे, लेकिन ओमिक्रॉन में 50 से ज्यादा म्यूटेशन हुए हैं, जिनमें से 30 से ज्यादा म्यूटेशन तो सिर्फ इसके स्पाइक प्रोटीन के स्ट्रक्चर में ही हुए हैं। कहा जा रहा है कि इसी वजह से यह ज्यादा जल्दी इंफेक्शन फैलाता है।