नई दिल्ली: अगर बात करें हेल्थ कि ये समय हेल्थ को ले कर बहुत ही नाजुक दौर वाला है जहां एक तरफ ठंड ने कोहराम मचाया हुआ है वहीं दूसरी तरफ कोरोना के नये नये वैरिएंट्स का कहर. वैसे तो सर्दी – जुखाम ,बुखार होना इस मौसम में आम बात है परन्तु यही लक्षण कोरोना के भी है. तो लोग बहुत जल्दी इसे ले कर घबरा जा रहे हैं. हालांकि इसे हर जगह कंट्रोल करने के प्रयास जारी हैं. आपको एक नई स्टडी से थोड़ी राहत मिल सकती है ,वो ये है कि सर्दी-जुकाम से शरीर में कोविड से लड़ने की इम्यूनिटी बढ़ती है. ये स्टडी इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने की है.
तो चलिए जानते हैं क्या कहती है नई स्टडी
इंपीरियल कॉलेज लंदन के साइंटिस्ट का कहना है कि खांसी और जुकाम से टी-सेल यानी रक्त कोशिकाओं को बढ़ावा मिलता है जो कि वायरस की डिटेक्ट करने में कारगर साबित होती हैं. इसके अलावा कोविड में सूंघने की क्षमता प्रभावित होने से भी हमारी इम्युनिटी को मजबूती मिलती है . ये एक महत्वपूर्ण खोज है लेकिन ये सुरक्षा का केवल एक रूप है और सिर्फ इसी पर अकेले भरोसा नहीं किया जा सकता. कोरोना से खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप वैक्सीन की दोनों डोज और बूस्टर लगवाएं.
रक्त कोशिकाओं से मिल रहा कोरोना प्रोटेक्शन
कोरोना से बचने का सबसे कारगर तरीका वैक्सीनेशन ही है और सभी को पूरी तरह वैक्सीनेट होना जरूरी है, साथ ही बूस्टर डोज भी लगवानी चाहिए.
यह स्टडी 52 लोगों के एक ग्रुप पर की गई है जो कि कोरोना संक्रमित लोगों के साथ रह रहे थे. लेकिन इनमें से सिर्फ आधे ही संक्रमित हुए थे. ब्लड टेस्ट से पता चला कि जो 26 लोग संक्रमण का शिकार नहीं हुए उनमें टी-सेल का लेवल काफी ज्यादा था क्योंकि वह पहले किसी अन्य कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके थे.
पुरानी कोविड वैक्सीन है कारगर
ये तो आपको भी पता है कि ऐसे कम से कम 4 अन्य तरह के कोरोना वायरस हैं जो आमतौर पर किसी इंसान को संक्रमित करते हैं. ऐसे वायरस से संक्रमित हर 5 में एक को कोल्ड होता है. स्टडी में यह भी पता चला कि जिनकी बॉडी में टी-से ज्यादा है उन पर सभी कोरोना वायरस का एक जैसा असर दिखता है जो कि अन्य वायरस के खिलाफ बग की तरह काम करती हैं. साथ ही उन्हें बॉडी में दाखिल होने से रोकती हैं.
बता दें कि टी-सेल उन वायरस के खिलाफ काम करती हैं जो ज्यादा बार म्यूटेट नहीं हो पाए हों. यही वजह है कि हमारी पुरानी वैक्सीन अभी भी नए कोविड वेरिएंट के खिलाफ काम कर रही हैं, भले ही शरीर की एंटीबॉडी कम प्रभावी क्यों न हो गई हों.