आज पुत्रदा एकादशी (putrada ekadashi 2022) है। पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को यह व्रत किया जाता है। इसे वैकुंठ एकादशी (Vekunth Ekadashi 2022) भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है। कहते हैं कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने से संतान प्रप्ति की कामना पूरी होती है।
एकादशी व्रत का अलग महत्व है। एकादशी हर महीने में दो होती है। यानी सालभर में कुल 24 एकादशियां पड़ती है। सभी एकादशी का अलग महत्व है। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही होती है। अत: इससे बचना चाहिए।
कैसे करें पूजा
पुत्रदा एकादशी व्रत पूजा में भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की भी पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन सुबह सूर्योदय के साथ स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें। पुत्रदा एकादशी व्रत का संकल्प लें और बाल कृष्ण के साथ भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा में भगवान को पीला फल, पीले पुष्प, पंचामृत, तुलसी आदि अर्पित करें। दंपति एक साथ व्रत का संकल्प लें और व्रत का पूजन करें। व्रत कथा पढ़ें या सुनें। कथा के बाद आरती करें।
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पूजन सामग्री
फल, फूल, मिठाई, अक्षत (चावल), तुलसी दल (तुलसी पत्ती), नारियल, सुपारी, लौंग, चंदन, धूप, दीप, घी और पंचामृत।
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
एक समय में भद्रावतीपुरी नामक नगरी में राजा सुकेतुमान राज्य करते थे। उनकी रानी का नाम चंपा था। उनकी कोई संतान नहीं थी, इसलिए दोनों पति-पत्नी चिंता और शोक में रहते थे। इसी शोक में एक दिन राजा सुकेतुमान जंगल में चले गए। जब राजा को प्यास लगी तो वे एक सरोवर के पास पहुंचे। वहां बहुत से मुनि वेदपाठ कर रहे थे। राजा ने उन सभी मुनियों की वंदना की। प्रसन्न होकर मुनियों ने राजा से वरदान मांगने को कहा। जब राजा ने उन्हें अपनी चिंता के बारे में बताया तब मुनि बोले कि पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकदाशी कहते हैं। उस दिन व्रत रखने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है। तुम भी वही व्रत करो। ऋषियों के कहने पर राजा ने पुत्रदा एकादशी का व्रत किया। कुछ ही दिनों बाद रानी चंपा ने गर्भधारण किया। रानी ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया, जिसने अपने गुणों से पिता को संतुष्ट किया और न्यायपूर्वक शासन किया।
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इस दिन क्या करना चाहिए?
- शास्त्रो में बताया गया है कि इस दिन दान आदि करना शुभ होता है। इसलिए एकादशी के दिन गरीब और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें। मंदिर आदि में लोगों की मदद करें।
- संभव हो तो एकादशी के दिन गंगा जल से स्नान करें। कहते हैं कि विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए एकादशी के दिन केसर, हल्दी, केला आदि का दान करना चाहिए।
- एकादशी के दिन व्रत रखने से धन, मान-सम्मान आदि की प्राप्ति होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी के दिन सच्ची श्रद्धा से व्रत रखने से सभी कामना पूरी होती है।