सेंट्रल विस्ट परियोजना (Central Vista Project) यानी नए संसद भवन की लागत 971 करोड़ से बढ़कर करीब 1200 करोड़ रुपये हो गई है। सूत्रों के मुताबिक इसका कारण स्टील, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य कार्यों पर ज्यादा खर्च है। इसके लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने लोकसभा सचिवालय को प्रस्ताव भेज दिया है। इसके लिए सचिवालय की मंजूरी मिलने की भी उम्मीद है।
नए संसद भवन के निर्माण के लिए नोडल एजेंसी सीपीडब्ल्यूडी ने लागत वृद्धि के लिए लोकसभा सचिवालय की सैद्धांतिक मंजूरी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि वृद्धि के बाद, परियोजना पर लगभग 1200 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है, जो मूल परियोजना लागत से 223 करोड़ रुपये ज्यादा है।
शीतकालीन सत्र नए भवन में आयोजित करने का लक्ष्य
नई संसद भवन परियोजना (new parliament building project) को 2020 में टाटा प्रोजेक्ट्स को 971 करोड़ रुपये में दिया गया था। भारत सरकार ने इसके लिए अक्टूबर 2022 की समय सीमा तय की थी, साथ ही इस साल का शीतकालीन सत्र भी नए भवन में आयोजित करने का लक्ष्य रखा था। सूत्रों की मानें तो सीपीडब्ल्यूडी ने लागत में अपेक्षित वृद्धि के पीछे कारण बताए हैं, जिसमें स्टील की उच्च लागत शामिल है। क्योंकि इमारत अब भूकंपीय क्षेत्र 5 के मानदंडों के अनुसार बनाई गई है, ऐसा सूत्रों का कहना है।
उच्च तकनीकी उपकरणों की वजह से बढ़ी लागत
सीपीडब्ल्यूडी के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक्स की लागत भी बढ़ने की उम्मीद है। क्योंकि संसद के दोनों सदनों में सांसदों की मेज पर टैबलेट सहित आधुनिक ऑडियो-विजुअल सिस्टम के लिए भी प्रावधान किए जा रहे हैं। इसी तरह, मंत्रियों के बैठक कक्षों और कक्षों में उच्च तकनीक वाले उपकरणों का उपयोग करने पर विचार किया जा रहा है।