आज के समय में बेटियां बेटों का साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, हर वो मुकाम हासिल कर रही हैं जिनकी वो हकदार हैं। लेकिन एक दौर ऐसा था जब बेटियों को कोख में ही मार दिया जाता था। अगर बेटियों का जन्म हो भी गया, तो भी उन्हें बाल विवाह की आग में झोंक दिया जाता था। इन कुरीतियों को खत्म करने के लिए सरकारों ने प्रयास किया। बेटियों को देश के प्रथम पायदान पर लाने के लिए कई योजनाएं और कानून बनाए गए। इसी के साथ बेटियों के प्रति लोगों को जागरूक करने और बेटियों के प्रति समाज को एक नई दिशा देने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) की शुरुआत की गई।
24 जनवरी को हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 2009 से हुई। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पहली बार 24 जनवरी 2009 को देश में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया।
क्यों मनाया जाता है बालिका दिवस?
इसके पीछे एक खास कारण है। ये कारण इंदिरा गांधी से जुड़ा हुआ है। साल 1966 में इंदिरा गांधी ने देश की पहली महिला पीएम के तौर पर शपथ ग्रहण की थी। भारत के इतिहास और महिलाओं के सशक्तिकरण में 24 जनवरी का दिन अहम है।
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बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य
बालिकाओं द्वारा सामना किए जाने वाली सभी असमानताओं को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना।
बेटियों के अधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक करना।
बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के महत्व पर जोर देना और जागरूक करना।
विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन
राष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन राज्यों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसमें सेव द गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड सेक्स रेशियो, और बालिकाओ के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है।