माघ मास की मौनी अमावस्या(Mauni Amavasya )मंगलवार को महोदय योग में आ रही है। इस दिन स्नान,दान का विशेष महत्व है। श्रद्धालु राप्ती सहित आसपास की पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाकर दान-पुण्य कर रहे हैं।
इस दिन सूर्योदय छह बजकर 34 मिनट पर और अमावस्या तिथि का मान दिन में 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। हालांकि, अमावस्या तिथि एक दिन पूर्व सोमवार को दोहपर एक बजे 15 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी।
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मौनी अमावस्या का महत्व(importance )
सूर्य आत्मा का प्रतीक और चंद्रमा मन का कारक है। इस तिथि के स्वामी पितर गण है। इस तिथि पर दान-स्नान से देवताओं की कृपा के साथ पितरों की भी कृपा प्राप्त होती है। इस दिन मनु ऋषि का जन्म भी माना जाता है। इसलिए इस दिन को मनु अमावस्या भी कहते हैं। तिल और गुड़ का दान करने से शनि और सूर्य की पीड़ा समाप्त हो जाती है। पीपल में सभी देवताओं का निवास माना जाता है। इसलिए पीपल की पूजा करें।
आज के दिन भूलकर भी न करें ये 5 काम
1 -घर में किसी तरह का क्लेश न करें और न ही किसी का दिल दुखाएं। सुख और शांति(happy anfd peace ) के लिए नारायण का जाप करें।
2 -पीपल के वृक्ष की पूजा करें, लेकिन उन्हें स्पर्श न करें. पीपल(pipal ) को जल अर्पित करें।
3 -अमावस्या पर यौन संबंध(physical ) बनाने से आपकी संतानों को कई तरह के कष्ट भोगने पड़ते हैं।
4 – अमावस्या के दिन मांस मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. इससे आपकी धन हानि होती है, साथ ही पितरों को दुख पहुंचता है।
5 – आज की रात किसी श्मशान घाट या कब्रिस्तान में या उसके आस-पास नहीं घूमें। मान्यता है कि अमावस्या की रात को बुरी आत्माएं सक्रिय होती हैं।