आज से गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2022) की शुरुआत हो चुकी है। हिंदी पंचांग के अनुसार, साल में चार नवरात्रि पड़ती है। इनमें दो गुप्त नवरात्रि क्रमशः माघ और आषाढ़ में पड़ती है। वहीं, दूसरी नवरात्रि चैत्र और चौथी नवरात्रि अश्विन महीने में पड़ती है। गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में दस महाविद्याओं की देवियों की पूजा-उपासना की जाती है। इन दोनों गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri 2022) में विशेषकर तंत्र साधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में अपनी मनोकामनाएं गुप्त रखनी चाहिए। व्रत उपवास के कई कठोर नियम भी हैं। इनका पालन करना अनिवार्य है।
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर पूजा कर सकते हैं। साथ ही पूजा संकल्प ले सकते हैं।
दस महाविद्या की होती है पूजा
चूंकि गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना का विशेष महत्व है इसलिए इसमें मुख्यत: दस महाविद्याओं की उपासना की जाती है। शाक्य भक्तों के अनुसार (शाक्य संप्रदाय हिंदू धर्म के तीन प्रमुख सम्प्रदायों में से एक है। आदि शक्ति अर्थात देवी की उपासना करने वाला सम्प्रदाय शाक्त सम्प्रदाय कहलाता है।) ‘दस रूपों में समाहित एक सत्य की व्याख्या है – महाविद्या’ जिससे जगत जननी जगदम्बा के दस लौकिक व्यक्तित्वों की व्याख्या होती है। महाविद्याएं तान्त्रिक प्रकृति की मानी जाती हैं जो निम्न हैं-
- काली
- तारा
- छिन्नमस्ता
- षोडशी
- भुवनेश्वरी
- त्रिपुर भैरवी
- धूमावती
- बगलामुखी
- मातंगी
- कमला
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व्रत विधि
घटस्थापना के दिन स्नान-ध्यान से निवृत होकर पवित्र धारण कर व्रत संकल्प लें। इसके लिए सबसे पहले आमचन करें। इसके पश्चात मां शैलपुत्री की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, कुमकुम, अक्षत आदि से करें। मां को लाल पुष्प अति प्रिय है। अत: मां को लाल पुष्प जरूर भेंट करें। इससे उपासक सभी रोगों से मुक्त रहता है। ऐसा कहा जाता है कि मां शैलपुत्री को गाय का घी अर्पित करने से घर में सुख-शांति और मंगल का आगमन होता है। माता शैलपुत्री का आह्वान निम्न मंत्र से करें-
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
इसके पश्चात मां की आरती कर उनसे परिवार के मंगल की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। आप चाहें तो एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकते हैं। शाम में आरती-अर्चना करने के बाद फलाहार कर सकते।
नव दुर्गा का ध्यान मंत्र-
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति. चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति.महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।