लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पहले चरण के चुनाव प्रचार में नेताओं ने पूरी तकत झोंक दी है। कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा भी गुरुवार को कांग्रेस प्रत्याशियों के चुनाव-प्रचार के लिए बुलंदशहर पहुंचीं। वहां वह चुनावी वाहन से प्रचार कर रही थीं तभी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी का विजय रथ और प्रियंका का काफिला एक साथ पहुंच गया।
दरअसल, बुलंदशहर के जहांगीराबाद में एक चौराहे पर अखिलेश यादव और जयंत चौधरी का विजय रथ और प्रियंका का काफिला एक साथ पहुंच गया। दोनों का काफिला बराबर में आया तो अखिलेश व जयंत समाजवादी रथ की छत पर पहुंच गए। प्रियंका ने भी गाड़ी के ऊपर पहुंचकर अखिलेश-जयंत की ओर मुस्कुराकर हाथ हिलाया। अखिलेश व जयंत ने भी प्रियंका वाड्रा का अभिवादन किया। कुछ देर बाद अखिलेश यादव ने इस मुलाकात की तस्वीर भी अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की।
#WATCH | Bulandshahr | Congress general secretary Priyanka Gandhi Vadra and SP chief Akhilesh Yadav-RLD chief Jayant Chaudhary wave at and greet each other after they came face to face during their respective election campaigns for #UttarPradeshElection2022 pic.twitter.com/OWV3IlKT0v
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 3, 2022
चुनाव प्रचार के दौरान तीनों नेताओं की मुलाकात का यह वीडियों देखते ही देखते वायरल हो गया। इय वाकया इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि दोनों दलों के बीच बिना किसी गठबंधन के भी समन्यवय की चर्चा जोरों पर है। इसके संकेत उसी दिन मिले थे जब कांग्रेस ने मैनपुरी की करहल सीट से समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और इटावा की जसवंतनगर सीट से सपा-प्रसपा गठबंधन के उम्मीदवार शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ उम्मीदवार उतारने से परहेज किया था। ऐसा करके कांग्रेस ने भविष्य में भाजपा के खिलाफ जरूरत पड़ने पर सपा से हाथ मिलाने का स्पष्ट संकेत दिया है।
एक दुआ-सलाम ~ तहज़ीब के नाम pic.twitter.com/dutvvEkz5W
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 3, 2022
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा प्रदेश की सभी 403 सीटों पर पार्टी के चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं। यह बात और है कि कांग्रेस ने सपा मुखिया और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ अब प्रत्याशी न उतारने का निर्णय किया है। चुनाव की आहट तेज होते ही कांग्रेस और सपा के गठबंधन की अटकलों को अखिलेश ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि बड़े दलों का स्ट्र्राइक रेट खराब होता है। उनका इशारा कांग्रेस के साथ 2017 में हुए सपा के गठबंधन की ओर था।
सपा और कांग्रेस दोनों का मुख्य लक्ष्य भाजपा को हराना है। बीते दिनों एक सवाल के जवाब में प्रियंका ने कहा था कि विधान सभा चुनाव के बाद यदि सपा को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने की जरूरत पड़ी तो इस पर विचार किया जाएगा। कांग्रेस के इस कदम को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है।