श्री रामानुज सहस्रब्दी समारोहम (Sri Ramanuja sahastrabdi samarohm) के अवसर पर तेलंगाना के हैदराबाद में 216 फुट ऊंची ‘स्टैचू ऑफ इक्वैलिटी’ (unveiling of Statue of Equality) का अनावरण किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को इसका अनावरण करेंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा, “216 फुट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी 11वीं सदी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की याद में बनाई गई है, जिन्होंने जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया। यह मूर्ति ‘पंचलोहा’ से बनी है। पांच धातुओं में सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का संयोजन है।” आपको बता दें कि प्रतिमा का उद्घाटन 12-दिवसीय श्री रामानुज सहस्रब्दी समारोह का एक हिस्सा है।
मंदिर की खासियत
मंदिर के बारे में बात करें तो यहां रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां स्थापित की जाएगी। दोनों की बनावट अगल है। पहली मूर्ति अष्टधातु से बनाई गई है, जो 216 फीट ऊंची है। जबकि दूसरी मूर्ति मंदिर के गर्भगृह में रखी जाएगी, ये 120 किलो सोने से बनी है। इस अंदरुनी कमरे का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) 13 फरवरी को करेंगे।
यज्ञ का आयोजन
समारोह के आयोजनकों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 5 फरवरी, 2022 को ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ (Statue of Equality) को दुनिया को समर्पित करेंगे। इसमें कहा गया कि रामानुजाचार्य की 1000वीं जयंती उत्सव के मौके पर दो फरवरी से कार्यक्रम शुरुआत हो चुकी है। इन ‘समारोहम’ के तहत सामूहिक मंत्र-जाप और 1035 यज्ञ जैसी आध्यात्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन को रामानुज सहस्राब्दी समारोहम नाम दिया गया है।
कौन थे रामानुजाचार्य?
1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में जन्मे रामानुजाचार्य एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक थे। उन्होंने समानता और सामाजिक न्याय के विचारों को लेकर पूरे भारत की यात्रा की। रामानुज ने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया। उन्होंने अपने उपदेशों से अन्य भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया। रामानुजाचार्य को अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई जैसे कवियों के लिए प्रेरणा माना जाता है।
Bollywood News : बिग बी ने बेचा अपना पैतृक घर ‘सोपान’, जानें कितने कीमत में हुई पुश्तैनी घर की डील
प्रकृति संरक्षण का संदेश
जब वे एक युवा नवोदित दार्शनिक थे, रामानुज ने प्रकृति और उसके संसाधनों जैसे हवा, पानी और मिट्टी के संरक्षण की अपील की। उन्होंने नवरत्नों के नाम से जाने जाने वाले नौ शास्त्रों को लिखा और वैदिक शास्त्रों पर कई टिप्पणियों की रचना की। रे भारत में मंदिरों में किए जाने वाले अनुष्ठानों के लिए सही प्रक्रियाओं को स्थापित करने का श्रेय रामानुजाचार्य को दिया जाता है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक हैदराबाद प्रवास के दौरान पीएम आईसीआरआईएसएटी (ICRISAT) की 50वीं वर्षगांठ समारोह की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री पौध संरक्षण पर ICRISAT की जलवायु परिवर्तन अनुसंधान सुविधा और ICRISAT की रैपिड जनरेशन एडवांसमेंट सुविधा का भी उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया जाएगा।