नई दिल्ली। देश में आधुनिकवाद के प्रवर्तकों की भारी भीड़ है। हर वक्त इस बात की दुहाई दी जाती है कि हम आधुनिक हिन्दुस्तान (Hindustan) का हिस्सा बन चुके हैं, लेकिन हकीकत कहीं इससे विपरीत है। आज भी कई ऐसी सामाजिक वर्जनाएं (Taboo) हैं, जिसे ढोकर चलते रहने को सामाजिक मर्यादा का नाम दिया जाता है, जबकि उसके कई दुष्परिणाम सामने आते हैं। इन्हीं सामाजिक वर्जनाओं (Taboo) में महिलाओं का मासिक धर्म (Menstrual ) भी है, जिसे छिपाकर रखना सामाजिक मर्यादा का हिस्सा माना जाता है।
इन दकियानुसी ख्यालातों के खिलाफ दिल्ली कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (Delhi Commission For Protection of Child Rights) यानी DCPCR ने एक पहल की है। इसके अंतर्गत पीरियड के दौरान स्वच्छता और इसे लेकर जो सामाजिक वर्जनाएं हैं, उस पर चर्चा शुरू की गई है। इस विषय पर IAS अफसर सज्जन यादव का एक Tweet वायरल हो रहा है, जिस पर बड़ी तादाद में कमेन्ट्स भी आ रहे हैं और ज्यादातर लोग सपोर्ट कर रहे हैं। सज्जन यादव भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में Additional Secretary हैं।
If period blood is unholy and impure we are far from being pious ourselves.
Let's remember our existence was made possible because of this blood, it nourished us in the womb so we could be who we are today.
Let's end the taboo, let's break the silence. #AbPataChalneDo pic.twitter.com/kuH2GBkkWd
— Sajjan Yadav IAS (@Sajjan95) February 5, 2022
IAS अधिकारी सज्जन यादव ने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘अगर पीरियड के दौरान निकले ब्लड (खून) को कोई अपवित्र और अशुद्ध मानता है, हम लोग पवित्र होने के दावे से काफी दूर हैं. हमें याद रखना चाहिए कि हमारा संभव होना, इसी ब्लड के कारण हो पाया है. इसने हमारा गर्भ में पालन पोषण किया है। इसी कारण आज हम हैं। इस Taboo (सामाजिक वर्जना ) को खत्म करिए और चुप्पी को तोड़ें।