नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को पत्रकारों के लिए नई मान्यता नीति की घोषणा की। इस नई नीति (Media Accreditation Guidelines-2022) के तहत उन पत्रकारों की मान्यता रद्द कर देगी, भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था के खिलाफ काम करेंगे या गंभीर अपराध में लिप्त पाए जाएंगे। नई मान्यता गाइडलाइन को केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने बनाया है। प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने इसे लागू कर दिया है।
नई नीति के अनुसार शालीनता, या नैतिकता, या अदालत की अवमानना, मानहानि या किसी अपराध के लिए उकसाने वाले काम करने पर भी पत्रकारों की मान्यता वापस ली जा सकती है या निलंबित की जा सकती है।
दिशानिर्देशों के अनुसार, मान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों को सार्वजनिक या सोशल मीडिया प्रोफाइल, विजिटिंग कार्ड्स, लेटर हेड्स या किसी अन्य पेपर पर ‘भारत सरकार से मान्यता प्राप्त’ शब्द का लिखने से मना किया गया है।
नई नीति के तहत डिजिटल माध्यम से पत्रकारों पर भी मान्यता की ये सामान्य शर्तें लागू होंगी। न्यूज एग्रीगेटर को पीआईबी से मान्यता नहीं मिलेगी। डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के नियम 18 के तहत आवेदन करना होगा। नई नीति में उन्हें इनफॉर्मेशन टेक्नॉलोजी (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) के तहत नियमों का उल्लंघन नहीं करने की हिदायत दी गई है।
नए नियमों के मुताबिक, मान्यता प्राप्त करने के लिए वेबसाइट को कम से कम एक वर्ष तक लगातार संचालित होना चाहिए। हर महीने 10 लाख से 50 लाख यूनीक विजिटर्स वाले डिजिटल मीडिया के संस्थान एक पत्रकार को मान्यता दिला सकती है। प्रति माह एक करोड़ से अधिक यूनीक विजिटर्स वाले संस्थान के चार पत्रकारों को मान्यता मिल सकती है।
समाचार पोर्टल का संपादक भारतीय नागरिक होना चाहिए। वेबसाइट का भारत में पंजीकृत होना जरूरी है और उसके संवाददाता दिल्ली या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में होने चाहिए। विदेशी समाचार मीडिया संगठनों के लिए काम करने वाले स्वतंत्र पत्रकारों को कोई मान्यता नहीं दी जाएगी।
नीति के मुताबिक,15 साल से अधिक समय तक फ्रीलांसिंग करने वाले और 30 साल के अनुभवी पत्रकार भी पीआईबी से मान्यता के हकदार हैं। 65 साल की उम्र वाले प्रतिष्ठित पत्रकार को भी मान्यता दी जाएगी।