कई बार आपने देखा होगा कि आपके मोहल्ले या शहर में शराब की दुकानें एक दिन को बंद रहती हैं यानी उस दिन शराब नहीं बेची जाती है. जिस दिन शराब की दुकानें बंद रहती हैं या उनकी छुट्टी रहती है, उसे ड्राई डे (Dry Day) बोलते हैं. आप भी ही नहीं, सरकारी दस्तावेजों में भी ड्राई डे शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. वैसे जिन लोगों को शराब की लत होती है, वो लोग ड्राई डे के दिन परेशान नजर आते हैं और इसका इंतजाम पहले ही कर लेते हैं. आप ये तो समझ गए कि ड्राई डे क्या होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर जिस दिन शराब की दुकान (Alcohol Shops) बंद रहती है, उसे ड्राई डे क्यों कहते हैं.
कब होता है ड्राई डे?
भारत में हर राज्य के हिसाब से अलग अलग ड्राई डे की तारीख निश्चित है. वैसे अधिकांश राज्यों में 2 अक्टूबर, 15 अगस्त और 26 जनवरी को ड्राई डे होता है. हर राज्य अपने क्षेत्र और वहां आने वाले त्यौहार या किसी विशेष दिन पर शराब की बिक्री पर रोक लगाते हैं. कई राज्यों में रविदास जंयती जैसे दिवस पर शराब की दुकानें बंद रहती है तो कई राज्यों में ऐसा नहीं होती है.
क्यों होता है ड्राई डे?
बता दें कि ड्राई डे घोषित करने के पीछे कई वजह होती हैं. दरअसल, अक्सर ड्राई डे राष्ट्रीय पर्व और धार्मिक पर्व से जुड़े मौकों पर रखा जाता है. राष्ट्रीय पर्व पर सैनिकों, शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान के लिए और धार्मिक पर्व पर धार्मिक भावनाओं को लेकर शराब की दुकानें बंद की जाती है. इसके अलावा कई बार कानून व्यवस्था के चलते भी शहर या राज्य में ड्राई डे घोषित कर दिया जाता है.
क्यों ड्राई डे नाम रखा गया?
वैसे तो नो एल्कॉहोल डे को ड्राई डे कहने का कोई तथ्यात्मक कारण नहीं है, लेकिन माना जाता सकता है कि जब किसी ने कुछ नहीं पिया हो तो उसके लिए ड्राई शब्द का इस्तेमाल किया है. कहा जाता है जब कोई पर्याप्त पानी, ज्यूस या फिर कोई और पेय पदार्थ नहीं पीता है तो ऐसा कहा जाता है. ऐसे में इसे शराब के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. अंग्रेजी में कहा जाता है, He’s gone dry now. ऐसे में माना जा सकता है इस दिन कोई शराब नहीं पी पाता है तो उसे ड्राई से जोड़कर देखा जाता है.