धमतरी। यह पूरा वाक्या छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के ग्राम तुमराबहार का है। महंगी पढ़ाई—लिखाई के बाद इंजीनियर बनने का ख्वाब तो पूरा हो गया, लेकिन बेरोजगारी और दर—दर की ठोकरों ने शहर की चकाचौंध का भूत उतार दिया। जिसके बाद उस बेरोजगार इंजीनियर ने अपने गांव लौटने का ऐसा फैसला किया, जो आज हर किसी के लिए प्रेरणा बन गई।
गांव की पथरीली जमीन जहां पर खरपतवार भी नहीं होता था, आज वहां पर साल में तीन फसल होने लगी है। हर बरस तीन फसलों से जमीन लहलहाते नजर आती है। उस बेरोजगार इंजीनियर ने हौसले और हूनर को पथरीली जमीन पर झोंक दिया, जिसका परिणाम आज सुखद होकर सामने आ रहा है। वह अब लाखों कमा रहा है, तो औरों को रोजगार भी दे रहा है।
अब सोना उगल रही जमीन
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर जंगली रास्ते में बसे ग्राम तुमराबहार में यह हकीकत नजर आता है। इस गांव के आसपास का अधिकांश हिस्सा पथरीली जमीन है। कुछ खेती बाड़ी है, लेकिन मुरूम की अधिकता के कारण उपज उतनी अच्छी नहीं होती। यहीं लगभग आठ एकड़ की जमीन शोभा महाड़िक की है। उनका परिवार भी इस जमीन की कीमत नहीं पहचानता था, लेकिन बेटे अनुज महाड़िक (30 वर्ष) ने यहां से अब सब्जी रूपी सोना निकालना शुरू कर दिया है।
हूनर का किया सदुपयोग
वास्तव में अनुज महाडिक ने भी ऐसा नहीं सोचा था। दुर्ग शहर में पले बढ़े अनुज ने अपने अन्य दोस्तों की तरह शहर में ही मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और छत्तीसगढ़ पीएससी की धुन में कुछ साल तक मस्त रहे। बात नहीं बनी तो कोचिंग का रास्ता देखा, लेकिन सीमित सफलता के रास्ते ने उनका मोह भंग कर दिया। ऐसे में उसने सोचा कि अच्छा होगा अपने कौशल का उपयोग कुछ अलग करने में करें।
अवसर लेकर आई आपदा
वैश्विक महामारी कोरोना का दौर था। जब सब महामारी के भय से घरों में कैद थे, तब अनुज ने इसे नए संकल्प के लिए बेहतर अवसर माना। दुर्ग से सीधे ग्राम तुमराबहार पहुंचे और अपनी बंजर पड़ी जमीन को कर्मभूमि के रूप में विकसित करना शुरू कर दिया। आज यहां विभिन्न प्रकार की सब्जियां तैयार हो रही है। आम के बगीचे भी हैं। साथ में कुक्कुट पालन और बकरा पालन की यूनिट भी तैयार हो गई है। एक के बाद एक फसल तैयार हो रही है और यह युवा इंजीनियर तुमराबहार में एक सफल किसान के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। न सिर्फ इस उद्यम से उसने अपना कैरियर बनाया बल्कि तुमराबहार के दर्जनभर लोगों को स्थायी रोजगार भी दे रहे हैं।
सालाना आय अब 10 लाख
अनुज महाडिक ने चर्चा में कहा कि मैं शहर में पला बढ़ा हूं, लेकिन बचपन से ही कुछ अलग करने की तमन्ना थी और पीएससी की असफलता ने मुझे इस ओर मोड़ दिया। खेती से कुछ करने का मौका मिला और उसी में मेहनत कर रहा हूं। सब्जी फसल से साल में लगभग 8 से 10 लाख तक की आमदनी हो जाती है। गर्मी के सीजन में पिछले साल ढाई लाख का आम बिक्री किया था। अब खेती के साथ सह व्यवसाय के रूप में बकरा एवं कुकुट पालन शुरू किया हूं। अनुज का मानना है कि सिर्फ धान की खेती पर निर्भर रहने से किसान आगे नहीं बढ़ पाएंगे। उन्हें फसल चक्रीकरण के साथ उन्नत तकनीक और दूसरे फसल की खेती अपनाना होगा, तभी वे आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे।