ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। भले ही विज्ञान पुनर्जन्म की बातों को नहीं मानता है, पर जीवन शैली में कभी-कभी कुछ ऐसी अनसुलझी कहानियां मिल जाती हैं, जिन पर न चाहते हुए भी विश्वास करना पड़ता है। ऐसी ही एक पुनर्जन्म की घटना झालावाड़ (Jhalawar) के खजूरी गांव (Khajuri Village) से उस समय सामने आई, जब यहां के एक परिवार के 3 साल के बेटे मोहित ने अपना नाम तोरण बताया और मौत का कारण भी बताने लगा।
पहले तो परिवार के सदस्यों को इस पर विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने इसकी पड़ताल की और मृतक तोरण के माता-पिता सहित रिश्तेदारों से उसे मिलवाया, तो परिवार के साथ ही क्षेत्र के लोगों में भी बच्चे का यह दावा कौतुहल का विषय बन गया।
16 साल पहले ट्रेक्टर से दबने से हुई थी मौत
मोहित के पिता औंकार लाल मेहर ने बताया कि मोहित जन्म से ही ट्रैक्टर की आवाज सुनकर डरता था और रोने लग जाता था। उस समय वह बोल नहीं पाता था। जब वह बोलने लगा, तो अपना नाम तोरण (पूर्वजन्म का नाम) बताने लगा। मामले की पड़ताल की गई तो पता चला कि आज से लगभग 16 साल पहले मनोहर थाना क्षेत्र के ही कोलूखेड़ी कला में रोड निर्माण काम में मजदूरी करने गए खजूरी के रहने वाले 25 साल के तोरण धाकड़ पुत्र कल्याण सिंह धाकड़ की ट्रैक्टर के नीचे दबने से मौत हो गई थी।
बच्चे ने बुआ को पहचाना
इसके बाद उसके माता-पिता मकान बेचकर मध्यप्रदेश के गुना (Guna of Madhya Pradesh) जिले के शंकरपुरा गांव (जामनेर) में रहने चले गए थे। तोरण की एक बुआ नथिया बाई धाकड़ खजूरी में ही रहती है। सूचना पर जब वह मिलने पहुंची, तो मोहित ने उसे पहचान लिया। इसके बाद तोरण के माता-पिता को सूचना दी गई और जब वह आए तो 3 साल के बच्चे ने उन्हें भी पहचान लिया। मोहित अपना नाम तोरण तो बताता ही है, साथ ही पूर्वजन्म में अपनी मौत की घटना के बारे में भी जानता है।
नाम पूछने पर बताता है तोरण
तोरण के पिता कल्याण सिंह धाकड़ ने बताया कि उनके बेटे की मौत के बाद अभी तीन साल पहले ही श्री गयाजी में उसका विधि-विधान से तर्पण किया था। सूचना मिलने पर खजूरी में आकर मोहित से मिले तो उसने पहचान लिया। उससे मिलकर लगा जैसे हादसे में जान गंवा चुका उसका बेटा तोरण फिर से लौट आया हो। मोहित से उसका नाम पूछने पर वह खुद को तोरण ही बताता है।
जिले में बना हुआ है चर्चा का विषय
बुआ नथिया बाई धाकड़ ने बताया कि वह खजूरी में ही रहती है। पूर्वजन्म में भी तोरण बहुत लगाव रखता था और अब भी वह जब उससे मिलने जाती है, तो वह उनकी गोदी में आकर बैठ जाता है। बहरहाल, विज्ञान की चुनौतियों के बीच पुनर्जन्म की घटना झालावाड़ जिले (Jhalawar District) में चर्चा का विषय बनी हुई है।
विशेषज्ञ कहते यह बात
झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर कृष्ण मुरारी लोधा (Assistant Professor Dr. Krishna Murari Lodha) का कहना है कि इंसान की मौत के बाद ब्रेन डेड (brain dead) हो जाता है। उसकी मेमोरी पूरी तरह खत्म हो जाती है। नया शरीर नए मस्तिष्क के साथ बनता है। मेमोरी कभी भी एक शरीर से दूसरे में ट्रांसफर नहीं हो सकती। बच्चे ने अपने परिजनों या कुछ लोगों को इस संबंध में बातें करते सुना होगा और दिमाग में इस तरह की स्टोरी क्रिएट कर ली। विज्ञान के युग में पुनर्जन्म जैसी बातें बेमानी है।