Covid Side Effect:ये तो आप सभी जानते है की दुनियाभर (Whole world)में पिछले दो साल( two years)से अधिक समय से जारी कोरोना वायरस के कारण लोगों को कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। डेल्टा (delta)जैसे घातक वैरिएंट(Variant) का फेफड़ों पर ज्यादा असर हुआ जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत और गंभीर स्थितियों में लोगों की जानें भी गईं। कोरोना वायरस के साथ-साथ वैज्ञानिक पोस्ट कोविड सिंड्रोम (post covid syndrome)के खतरे को लेकर भी चिंतित हैं। हालांकि विशेषज्ञों के एक समूह को इससे भी बड़ी एक चिंता परेशान कर रही है। एक्सपर्ट्स(Experts)का कहना है कि जहां कोविड ने लोगों को शारीरिक और आर्थिक रूप से प्रभावित किया है, वहीं महामारी ने वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य की समस्या को भी काफी ज्यादा बढ़ा दिया है।
वैज्ञानिकों को चिंता है कि जिस तरह से कोविड के कारण मानसिक स्वास्थ्य के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, ऐसे में डर है कि यह समस्या इस पीढ़ी और संभवत: आने वाली पीढ़ियों को भी प्रभावित कर सकती है। वैश्विक स्तर पर, मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य को लेकर प्रभावित लोगों की संख्या में इजाफा रिपोर्ट कर रहे हैं।
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वैश्विक स्तर पर बढ़े मानसिक स्वास्थ्य के मामलों में तेजी से वृद्धि
मनोचिकित्सकों का कहना है कि महामारी के दौरान चिंता और अवसाद के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। खास बात यह है कि इससे कोई एक खास आयुवर्ग नहीं, बल्कि युवा और बुजुर्ग दोनों ही परेशान हैं। एक रिपोर्ट में न्यूयॉर्क के मनोचिकित्सक डॉ वैलेंटाइन रायतेरी कहते हैं, “मैं अपने जीवन में कभी भी इतनी व्यस्त नहीं रहा और न ही मैंने अपने सहयोगियों को कभी भी इतना व्यस्त देखा। महामारी ने सबकुछ पलट कर रख दिया है। मानसिक स्वास्थ्य से प्रभावित लोगों के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हम बात उनकी कर रहे हैं जो अपनी परेशानी लेकर सामने आ रहे हैं,कई तो ऐसे हैं जिनको अपनी दिक्कत के बारे में पता भी नहीं है।
अगली पीढ़ीं पर भी दिख सकता है मानसिक स्वास्थ्य का गहरा असर
डॉ वैलेंटाइन रायतेरी कहते हैं, महामारी के इस दौर में सामाजिक अनिश्चितता और लंबी अवधि के लिए लोगों का आइसोलेट रहना निश्चित तौर पर मानसिक स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। यूके की मनोवैज्ञानिक, एलेक्स डेसाटनिक ने एक रिपोर्ट में जिक्र किया है कि जिस तरह की मानसिक समस्याएं इस दौर में बढ़ी हैं, इसे पूरी तरह से ठीक होते होते कम से कम एक पीढ़ी लग सकती है। इस मुद्दे को लेकर वैश्विक स्तर पर विशेषज्ञों को ध्यान देने की आवश्यकता है।
अवसाद और चिंता विकार में इजाफा
महामारी के दौरान कोविड-19 के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव को जानने के लिए कई अध्ययन किए गए। अक्टूबर में द लैंसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में जिक्र मिलता है कि साल 2020 में दुनिया के 204 देशों में कोविड महामारी के कारण अवसाद और चिंता विकारों के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी आई है। आश्चर्यजनक रूप से, महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर गंभीर अवसाद के 53 मिलियन और चिंता विकारों के 76 मिलियन से अतिरिक्त मामले दर्ज किए गए हैं।