रायपुर। बस्तर की झीरम घाटी में 2013 में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हुए हमले की जांच फिर से शुरू हो गई है। पुनर्गठित आयोग ने मामले से जुड़े लोगों को बयान और साक्ष्य देने के लिए बुलाया है। आयोग के सामने शपथ पत्र और पहचान पत्र के साथ लिखित में जानकारी देनी होगी। पुनर्गठित दो सदस्यीय आयोग कुल डेढ़ दर्जन बिंदुओं पर मामले की जांच कर रहा है। आयोग का मुख्यालय रायपुर और कैंप कार्यालय जगदलपुर में

है।

जस्टिस प्रशांत मिश्रा के तबादले के बाद आगे की जांच

घटना के बाद तत्कालीन सरकार ने हाई कोर्ट के जज प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था। इस बीच आयोग के अध्यक्ष जस्टिस मिश्रा का आंध्र प्रदेश तबादला हो गया। इसके बाद आयोग के सचिव ने 10 वाल्यूम और 4,184 पेज की जांच रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंप दी। सरकार ने इस पर अड़ी आपत्ति की। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सितंबर में आयोग ने जांच आधूरी होने की जानकारी देते हुए कार्यकाल बढ़ाने के लिए पत्र लिखा था, ऐसे में एक महीने में ही जांच कैसे पूरी हो गई। रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपे जाने पर भी सरकार को आपत्ति थी।

अब आयोग में दो जस्टिस

पुनर्गठित जांच आयोग में सरकार ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जज रह चुके सिक्किम हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सतीश कुमार अग्निहोत्री को अध्यक्ष नियुक्त किया है। साथ ही जस्टिस जी. मिन्हाजुद्धीन को आयोग का सदस्य बनाया है। इस नियुक्ति के साथ ही जांच में तीन नए बिंदु जोड़े गए हैं। इनमें क्या घटना के बाद पीड़ितांे को समुचित चिकित्सीय व्यवस्था उपलब्ध कराई गई थी?

ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए क्या समुचित कदम उठाए गए थे? इसके साथ ही यह भी जोड़ दिया गया है कि अन्य बिंदु माननीय आयोग या राज्य शासन के पारिस्थितिक आवश्यकतानुसार निर्धारित किए जाएंगे। प्रदेश् की सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने 2019 में जांच का दायरा बढ़ाते हुए इसमें आठ नए बिंदुओं को श्ाामिल किया था।