महाराष्ट्र के नांदेड़ नगर में गोदावरी किनारे हजूर साहिब गुरुद्वारा है, जिसे पूरे विश्व में नांदेड़ गुरुद्वारा के नाम पर प्रसिद्धि मिली हुई है। हर साल लाखों लोग इस गुरुद्वारे में आकर मत्था टेककर खुद को धन्य समझते हैं। तो यहां पर आकर लोग मनमाना दान और योगदान भी करते हैं, लेकिन कोई अपने नाम का गुणगान नहीं करता। ऐसा ही एक और वाक्या हाल में ही सामने आया है, जहां एक शख्स ने देशी घी से भरी हुई 22 लारियां नांदेड़ गुरुद्वारे में दान की है। इस महादान की कुल कीमत करीब 27 करोड़ रुपए आंकी जा रही है।
भारत में लाखों की संख्या में संपन्न लोग हैं, लेकिन इस तरह के महादानियों की संख्या बहुत कम है, जिनके लिए 27 करोड़ का दान भी सामान्य है। इस महादान को करने वाले शख्स की कोई भी जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन उन्होंने नांदेड़ साहिब गुरुद्वारे में 22 लारियों में देशी घी का दानकर मत्था टेक लिया है।
चर्चाओं का बाजार गर्म
नांदेड़ पहुंचे इन 22 लारियों में भरी देशी घी के पहुंचने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है, जिसका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। नांदेड़ साहिब गुरुद्वारे में इस बात की चर्चा हो रही है कि सभी लारियों में देशी घी की टीन लदी हुईं हैं।
पवित्र ग्रन्थ को गुरु ग्रन्थ साहिब कहा जाता है
बता दें कि यहीं पर सन 1708 में सिक्खों के दसवें तथा अंतिम गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने प्रिय घोड़े दिलबाग के साथ अंतिम सांस ली थी। सन 1708 से पहले गुरु गोविंद सिंह जी ने धर्म प्रचार के लिए कुछ वर्षों के लिए यहाँ अपने कुछ अनुयायियों के साथ अपना पड़ाव डाला था। गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में किसी अन्य को गुरु चुनने के बजाय सभी सिखों को आदेश दिया कि मेरे बाद आप सभी पवित्र ग्रन्थ को ही गुरु मानें और तभी से पवित्र ग्रन्थ को गुरु ग्रन्थ साहिब कहा जाता है।