बचपन खेल में, जवानी कैरियर और भविष्य संवारने के साथ मस्ती में बीत जाता है। इस दौरान आमतौर पर लोग बुढ़ापे के दिनों का ख्याल नहीं कर पाते हैं, जबकि इंसान के जीवन में बुढ़ापा एक ऐसा दौर होता है, जब उसे सबसे ज्यादा सेहतमंद होने की जरुरत पड़ती है। जवानी के दिनों में हम अपने खान—पान में अक्सर वही चूक करते हैं, जिसकी आवश्यकता बुढ़ापे के दिनों में होनी तय है।
दो राय नहीं कि ढ़लती उम्र के साथ शरीर में कई तरह के विकार उत्पन्न होने लगते हैं। मसलन, शारीरिक थकावट, याददाश्त में कमी (Alzheimer’s Disease), नसों में जकड़न के अलावा और भी कई दिक्कतें हैं, जो आमतौर पर सभी में होती हैं, लेकिन इन परेशानियों से भी बचा जा सकता है और अपने बुढ़ापे को संवारा जा सकता है। इसके लिए विशेषज्ञों ने चुकंदर (Beetroot) का नाम सुझाया है।
अल्जाइमर रोग में मददगार
बुढ़ापा सवार होते ही इंसान के शरीर का सबसे सक्रिय हिस्सा ही शिथिल पड़ता है, जिसे दिमाग कहा जाता है। जाहिर है कि दिमाग शिथिल होने का मतलब इंसान की याददाश्त का कमजोर (Alzheimer’s Disease) होना है। ऐसे में अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s Disease) को रोकने में चुकंदर (Beetroot) काफी मददगार साबित होता है। इसी तत्व की वजह से चुकंदर का रंग लाल होता है। इससे अल्जाइमर बीमारी की दवा विकसित की जा सकती है।
चुकंदर के कई फायदे
एक रिसर्च में पता चला है कि चुकंदर (Beetroot) के रस में बीटानिन (Betanin) तत्व पाया जाता है, जो दिमाग में मिसफोल्डेड प्रोटीन (Misfolded Protein) के संचय को धीमा कर सकता है। मिसफोल्डेड प्रोटीन का जमा होना अल्जाइमर बीमारी (Alzheimer’s Disease) का कारक होता है। चुकंदर (Beetroot) का सेवन रोजाना किया जाए जिससे बॉडी को बीटानिन (Betanin) मिलता रहे।