कोरोना वायरस का संकम्रण तेजी से फ़ैल रहा है। शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पाया है कि निएंडरथल से विरासत में मिला एक कोविड-19 जोखिम वाला वैरिएंट एचआइवी संक्रमित होने के खतरे को 27 फीसदी तक कम कर सकता है। सार्स सीओवी-2 से संक्रमित होने पर कुछ लोगों की स्थिति गंभीर हो जाती है, जबकि अन्य में बिल्कुल हल्के लक्षण दिखाई देते हैं। दरअसल, इसके लिए हमारी आनुवंशिक विरासत भी उत्तरदायी होती है।
डीएनए अध्ययन में चौकाने वाला खुलासा
स्वीडन स्थित करोलिंस्का इंस्टीट्यूट व जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट की एक टीम के नेतृत्व में हुए अध्ययन में पता चला कि आधुनिक मानव को निएंडरथल से गंभीर कोविड-19 के लिए एक प्रमुख आनुवंशिक जोखिम कारक विरासत में मिला है। टीम ने प्राचीन मानव के डीएनए में इस प्रकार का अध्ययन किया और पाया कि पिछले हिमयुग के बाद से इसकी आवृत्ति में काफी वृद्धि हुई है।
संक्रामक बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने में कारगर
करोलिंस्का के ह्यूगो जेबर्ग ने कहा, ‘कोविड-19 के लिए यह प्रमुख आनुवंशिक जोखिम कारक इतना सामान्य है कि मैं सोच में पड़ गया कि क्या यह वास्तव में किसी चीज के लिए अच्छा हो सकता है, जैसे कि किसी अन्य संक्रामक बीमारी से सुरक्षा प्रदान करने में।’ ‘प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज जर्नल’ में प्रकाशित यह अध्ययन बताता है कि आनुवंशिक जोखिम कारक क्रोमोजोम (गुणसूत्र) 3 के क्षेत्र में स्थित होता है और उसमें कई जीन होते हैं।