अपने पौने दो एकड़ नीबू(lemon ) के बगीचे की लागत से परेशान था, सिर्फ इनकी लागत ही लाखों रुपए में पहुंच जाती थी। पिछले तीन साल से जैविक तरीका अपनाने से इनकी हजारों रुपये की लागत कम हो गयी है। लागत कम होने से ये नीबू (lemon )के बगीचे से बाजार भाव के हिसाब से सालाना पांच से छह लाख रुपए बचा लेते हैं।
वैसे तो नीबू की पैदावार सालभर होती रहती है। लेकिन सबसे ज्यादा नीबू जुलाई से अक्टूबर में निकलता है। “एक पौधे से एक साल में बाजार भाव के हिसाब से औसतन तीन हजार का प्रोडक्शन निकल आता है, नीबू बाजार भाव के अनुसार 20 रुपये से लेकर 150 रुपए किलो तक रहता है। वर्ष 2017 में आठ लाख रुपए का नीबू(lemon ) बेचा था।
READ MORE ;Business Idea : प्लांट नर्सरी बिज़नेस शुरू करें और घर बैठे कमाए लाखों, इन बातों का रखें ध्यान
हर साल 10 से 12 लाख रुपये की बचत (savings )
“अमरुद के लगभग तीन एकड़ बगीचे से सालाना पांच लाख (5 lakh )रुपये निकल आते हैं। नीबू और अमरुद के बगीचे से लागत निकाल कर हर साल 10 से 12 लाख रुपए बच जाते हैं। बगीचे के अलावा मक्का, ज्वार, उड़द, मूंगफली, गेहूँ, जौ, चना सरसों उगाते हैं।
सितम्बर लास्ट या अक्टूबर माह में गड्ढा की खुदाई(digging a pit|)
दो बार दो किलो ट्राईकोडरमा दो किलो स्यूडोमोनास का पानी(water ) के साथ छिड़काव करें। वर्ष में एक बार सितम्बर लास्ट या अक्टूबर माह में गड्ढा की खुदाई करके कम्पोस्ट खाद डालें। ये खाद भेड़-बकरी की मीगनी, बायो गैस की स्लरी या गोबर की कम्पोस्ट कुछ भी हो सकती है। हर दो महीने में चूना, नीला थोथा का छिड़काव करें जिससे नीबू में लगने वाले कैंकर रोग से बचाव हो सके।