‘मोमोज’ (Momos) बीते कुछ सालों में इस स्ट्रीट फूड (Street Food) ने जिस तरह की रफ्तार पकड़ी है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। देश के हर शहर में सड़कों और गलियों में मानो इसकी बादशाहत हो चुकी है। ‘रस्ते का माल सस्ते में’ यह कहावत इस ‘मोमोज’ (Momos) पर सटिक बैठती है। गरमा—गरम यह शहर कि किसी भी रोड़, गली या फिर नुक्कड़ पर आसानी से उपलब्ध है, तो इसके लिए ज्यादा पैसे भी खर्च नहीं होते। लेकिन ‘मोमोज’ शरीर को किस कदर नुकसान (Harmful for Health) पहुंचा सकता, शायद लोगों ने इसकी कल्पना तक नहीं की है।
इस तरह से बनता है
‘मोमोज’ की रेसिपी पर यदि ध्यान दिया जाए, तो यह मैदे (Maida) से बना हुआ एक स्ट्रीट फूड है। मैदे के बॉल्स के भीतर कुछ स्टफिंग कर दी जाती है, फिर इसे स्टीम किया जाता है और व्हाइट सॉस, टैमेटो सॉस या फिर कुछ और तरह की चटनी के साथ परोसा दिया जाता है। मौके पर गरमा—गर्म पकवान मिल जाए, वह भी 20—30 रुपए में, तो लोगों को यह आकर्षित कर लेता है।
क्यों है घातक
डॉक्टर्स और न्यूट्रिशियन (Doctor’s And Nutrition’s ) की मानें तो मैदा शरीर के लिए वैसे भी घातक है। मैदे का नियमित सेवन इंसान को जल्दी बीमार करता है। मैदे को पचाने के लिए अमाशय को अतिरिक्त मेहनत करना पड़ता है, जबकि उसका सार शरीर को कुछ नहीं मिलता। उस पर ‘मोमोज’ में इस्तेमाल होने वाला मैदा पकाया नहीं जाता, बल्कि केवल स्टीम किया जाता है, जो शरीर को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।
इन बीमारियों का कारक
अक्सर डॉक्टर या फिर न्यूट्रिशियन ऐसे भोजन की सलाह देते हैं, जो आसानी से डाइजेस्ट हो सके। मैदा को लेकर हमेशा कहा जाता है कि कभी—कभी ही इस तरह के भोजन को शामिल किया जाना चाहिए। चूंकि मैदा में बैक्टिरिया जल्दी पनपते हैं, इसलिए इससे दूर ही रहना चाहिए। एक्सपर्टस् की मानें तो ‘मोमोज’ का कवर कच्चा मैदा है, उसके भीतर या तो चिकन डाल दिया जाता है, या फिर दूसरे इनग्रेडिएंट्स। इससे पाइल्स (Piles) , डाइबिटिज (Diabetes) , हार्ट स्ट्रोक (Heart Stroke) और यौन समस्या (Sexual dysfunction) भी संभावित है।