महाशिवरात्रि जीवन में शिव-संकल्प का पावन अवसर और उत्सव है जो वसंत के आगमन के समय आता है। पेड़-पौधे नई-नई पत्तियों, शाखाएं और फूलों से अपना साज-श्रृंगार करने में लग जाते हैं। ऐसा वातावरण और मौसम देखकर मन में अलग ही आनंद की अनुभूति होती है। मार्च की शुरूआत ही महाशिवरात्रि से हो रही है जो बहुत ही शुभ संकेत है।
यह ऐसा अद्भुत महापर्व है जिसके अनगिनत भाव, रूप और आयाम हैं। भगवान शिव मात्र फूल-भांग धतूरे और गंगाजल के चढ़ावे से संतुष्ट और प्रसन्न हो जाने वाले हैं। शक्ति के साथ उनका भोलापन भी लोगों को आकर्षित करता है इसलिए वो समाज के प्रत्येक वर्ग के देवता हैं।
महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण का महत्व
महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण का विशेष महत्व पौराणिक परंपरा में है। रात्रि अंधकार का प्रतीक है। अगर हमें शिवत्व को प्राप्त करना है तो हमारे अंदर जो अंधकार रूपी काम, क्रोध, मद, लोभ और मोह हैं, उन्हें खत्म करना होगा। हमें अंधविश्र्वास, पाखंड, बुराइयों और कुप्रवृतियों के प्रति सचेत रहना होगा। शिव औघड़ दानी इसलिए कहे जाते हैं कि उन्होंने ‘स्व’ का त्यागकर ‘पर’ को महत्व दिया। उन्होंने किसी से कुछ लिया नहीं, केवल दिया ही। अगर हमारे कर्मों में दान का भाव हो और हमारी उपासना शिवत्व के लिए हो, तो हम काल रात्रि से पार हो सकते हैं। जीवन को शिवत्व से पूर्ण करने के लिए हमें शिव संकल्प लेने ही होंगे। इस संकल्प को लेकर जब महाशिवरात्रि मनाएंगे तो कभी जीवन में हिंसा, प्रतिहिंसा, क्रोध, घृणा, स्वार्थ, विश्र्वासघात, कठोरता और दुर्मति का समावेश नहीं होगा। शिव हमारे मन, प्राण और आत्मा की शक्ति, साधन और आधार बनें, इस तरह के संकल्प के साथ स्वयं को जाग्रत बनाए रखें।
शिव उपासना जरूर करें
इस खास मौके पर शिव की उपासना जरूर करें। जो यह संदेश देता है कि हमारे कर्म यदि शिव यानी कल्याणकारी होंगे तो हमें परामनंद की प्राप्ति से कोई रोक नहीं सकता है। वेदों में मन को बार-बार शिव संकल्प लेने का उपदेश दिया गया है। मन को जब तक शिवत्व की ओर संकल्पित नहीं करेंगे तब तक हमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती है।