हिंदू धर्म(hindu religion ) में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व(high importance ) होता है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत (pradosh vrat)रखा जाता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। प्रदोष व्रत भगवान शंकर(god shiv) को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत पर विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना (worship )करने से व्यक्ति(people) की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है।
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आइये जानते है इस व्रत में कैसे करें पूजा ( worship)
शुभ मुहूर्त- (auspicious time)
फाल्गुन, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ – 05:42 ए एम, फरवरी 28
फाल्गुन, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त – 03:16 ए एम, मार्च 01
पूजा का महत्व ( importance)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है।
सोम प्रदोष व्रत करने से मनवांछित( wishes) फल की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को करने से संतान पक्ष को लाभ होता है।
इस विधि से करें पूजा ( rules)
1.सबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
2.स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
3.घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
4.अगर संभव है तो व्रत(vrat) करें।
5.भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
6.भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
7.इस दिन भोलेनाथ ( god shiv)के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
8.भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
9.भगवान शिव की आरती करें।
10.इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान(concentrate) करें।