सक्ती। जनपद सदस्य दिग्गज नेता रामकुमार गबेल (Ramkumar Gabel) के एनसीपी प्रदेश उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के बाद से ही भाजपा प्रवेश की अटकलें जोरों पर है।
ज्ञात हो गत दिनों एनसीपी प्रदेश उपाध्यक्ष रामकुमार गबेल के एनसीपी का दामन छोड़ने की चर्चा से क्षेत्र की राजनीति में हलचल मची हुई है। गबेल के प्रदेश अध्यक्ष राकांपा नोवेल कुमार वर्मा को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इस्तीफे के बाद से ही स्थानीय राजनीति गलियारों में अटकलें लगाई जा रही है कि अब वे किस पार्टी का दामन थामेंगे।
गबेल परिवार का क्षेत्रिय राजनीति में अपना एक अलग रुतबा रहा है। उनके परिवार के अधिकांश सदस्य भाजपा से संबंध रखते हैं। कारणों से रामकुमार गबेल भले ही एनसीपी में जाना और अब उसे छोड़ना उनका निजी मामला माना जा रहा है। राजनीति के जानकारों की माने तो रामकुमार ने राजनीति में लंबी पारी खेलने के उद्देश्य से एनसीपी छोड़ी हैं। संबंध में रामकुमार से पत्रकारों ने जानना चाहा तो मुस्कुराते हुए कहा मैंने राकांपा छोड़ा है। आगे क्या होता है देखिए। अपनी राजनीतिक कुशलता का परिचय दे ही दिया।
गबेल के चंद्रपुर के भूतपूर्व विधायक स्व युद्धवीर सिंह जूदेव से भी रिश्ते अच्छे थे।वहीं मालखरौदा क्षेत्र में गबेल परिवार का राजनीतिक वर्चस्व माना जाता है। गबेल परिवार के बड़े पुत्र अविभाजित मध्यप्रदेश के जांजगीर जिले से पहले जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकें हैं। गबेल परिवार का नाम भाजपा के बड़े नेताओं में गिना जाता हैं। रामकुमार गबेल गत कुछ वर्षों से सक्ती जनपद सदस्य के पद पर रहते हुए क्षेत्रीय राजनीति में सक्रिय नजर आते रहे है।
गबेल के करीबियों का मानना है कि उनकी राजनीति भूमि मालखरौदा क्षेत्र व चंद्रपुर विधानसभा है। गबेल के ज्येष्ठ भ्राता चंद्रपुर विधानसभा से भाजपा के प्रबल दावेदार माने जाते थे। लेकिन जशपुर राजघराने के युवराज के आने के कारण उन्हें भाजपा से विधायक का प्रत्याशी नहीं बनाया गया। वहीं मालखरौदा क्षेत्र में ही रामकुमार गबेल की पत्नी भी वर्तमान से जनपद सदस्य हैं और पूर्व में जिला पंचायत सदस्य भी रह चुकी है। बात साफ सपाट है कि स्थानीय चुनावों में गबेल परिवार का अपना एक अलग रुतबा रहा है।
इस परिवार का से भाजपा में जुड़े होने के कारण ही यह तय माना जा रहा है कि रामकुमार अगर किसी राजनैतिक पार्टी का दामन थामेंगे तो वह भाजपा ही होगी। अटकलों के आधार पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। अगर रामकुमार भाजपा प्रवेश करने है तो सक्ती और चंद्रपुर में भाजपा के प्रत्याशी बनने की चाह रखने वालों को शायद झटका लगे। क्योंकि रामकुमार की राजनीति पकड़
मजबूत होने के साथ साथ इनका नाम क्षेत्र जनप्रिय नामों में भी शामिल है।अगर रामकुमार भाजपा प्रवेश करते हैं तो पार्टी को कहीं ना कहीं मजबूती जरूर मिलेगी। देखना अब यह है कि रामकुमार किस पार्टी की जड़ें मजबूत करेंगे।