अशोक का शब्दिक अर्थ(means ) है,किसी प्रकार का शोक न होना। अशोक का पेड़ जिस स्थान पर होता है। वनहा पर किसी प्रकार शोक व अशान्ति नहीं रहती है। माँगलिक एवं धार्मिक कार्यो में अशोक के पत्तों (ashok tree )का प्रयोग किया जाता है।
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अशोक वृक्ष के फायदे (benefits of ashoka tree )
किसी भी शुद्ध मुर्हूत में अशोक वृक्ष की जड़ को निकाल लें। जड़ को निकाल उसे स्वच्छ जल अथवा गंगा जल(ganga ) से शुद्ध करके। अपने पूजा के स्थल में माँ दुर्गा के मन्त्र से 108 बार जाप करें। इसके बाद इस मूल जड़ को लाल कपड़े या लाल धागें में शरीर पर धारण करने से कार्यो में शीघ्र ही सफलता मिलने लगती है।
2-अशोक के पेड़ पर यदि प्रतिदिन जल चढ़ाया जाये तो उस गृह में माँ भगवती कृपा(maa bhagvati kripa ) विद्यमान रहती है। उस मकान में रोग, शोक, गृह कलेश अशान्ति आदि समस्यायें न के बराबर रहती है। इस पेड़ पर जो जातक नित्य जल अर्पित करता है। उस पर माँ लक्ष्मी की कृपा बरसती है। प्रत्येक शुक्रवार को अशोक के वृक्ष(ashoka tree ) के नीचे घी एवं कपूर(kapur ) मिश्रित दीपक जलाने से घर में नकारात्मबक ऊर्जा (negative energy )प्रवेश नहीं करती है।
विवाह में आ रही समस्याओं के लिए (marriage problem )
अगर विवाह में देरी हो रही है या किसी प्रकार की अड़चने आ रही है तो इसे दूर करने के लिए अशोक के पेड़ के पत्तों को घर लें आएं इसे पानी मिलाकर स्नान करें। इसके बाद अशोक के पत्तों को पीपल के पेड़ के नीचे डाल दें. यह टोटका(totka ) लगातार 42 दिनों तक करने से लाभ नजर आता है। अविवाहित कन्या(unmarriage ) को पीरियड्स के दौरान यह टोटका नहीं करना चाहिए।