महाशिवरात्रि पर राजिम माघी पुन्नी मेला में संत समागम से संतों की भव्य शोभायात्रा निकली। सैकड़ों की संख्या में साधु-संत अौर नागा साधुओं ने अपने-अपने अखाड़े व पारंपरिक अस्त्र-शस्त्रों के साथ शोभायात्रा निकाली।
छत्तीसगढ़ के राजिम में महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के पवित्र संगम में महाशिवरात्रि के दिन मंगलवार को साधु-संतों ने शाही स्नान किया। इसके साथ ही हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने भी आस्था और विश्वास की डुबकी लगाई। इस दौरान नागा साधुओं की शस्त्र पूजा के साथ अपनी संस्थाओं के निशानों और ध्वजों के साथ शोभा यात्रा निकाली। राजिम माँघि पुन्नी मेला माघ पूर्णिमा 16 फरवरी से शुरू हुआ था जिसका आज 1 मार्च महाशिवरात्रि के दिन समापन होगा।
महाशिवरात्रि पर्व पर साधुओं ने त्रिवेणी संगम तट पर बनाए गए कुंड में शाही स्नान किया। इससे पहले सुबह नागा साधुओं सहित अन्य साधु-संतों की शोभा यात्रा लोमश ऋषि आश्रम के नजदीक बनाए गए संत समागम स्थल से निकली। नागा साधुओं की अगुवाई में निकली इस शोभा यात्रा में साधुओं ने शौर्य प्रदर्शन किया।
शोभायात्रा नेहरू घाट, इंद्रिरा मार्केट, नेहरू पुल, फारेस्ट नाका, पं. सुंदरलाल शर्मा चौक होते हुए राजिम गौरवपथ में प्रवेश किया। शोभायात्रा में नागा साधुओं का दल सबसे आगे चल रहा था।
घोड़ों और बग्घी पर सवार होकर निकल रही शोभा यात्रा में साधुओं ने शस्त्र विद्या का प्रदर्शन किया। लाठियों से अलग-अलग करतब दिखाए। नवापारा और राजिम शहर में लोगों ने जगह-जगह शोभा यात्रा में शामिल साधुओं का स्वागत किया।
शोभा यात्रा में विभिन्ना अखाड़ों से साधु-संत अपनी पारंपरिक वेश-भूषा और उत्साह के साथ शोभायात्रा में शामिल हुए। सभी अपनी नागा साधु-संत धर्म ध्वजा अपने अखाड़ों के धर्म (ध्वज) निशान उठाए चले। घोड़ा बग्घी, ढोल नगाड़े के साथ शंखनाद से वातावरण गुंजायमान रहा।