जय प्रकाश चौकसे (Jai Prakash Chouksey) , नाम सुनते ही पर्दे पर आई किसी भी नई फिल्म का ट्रेलर, उस फिल्म के सीन और उसके गाने के साथ ही परिधान अपने आप नजरों के सामने घुमने लगते थे। यह थे जय प्रकाश चौकसे (Jai Prakash Chouksey), जिन्होंने फिल्मों की समीक्षा (Movie Review) को अपने नाम का पर्याय बना दिया था। आज उन्होंने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है, जिसके साथ ही फिल्म समीक्षा (Movie Review) जगत में एक शून्यता छा गई है।
किसी भी फिल्म की बारिकियों को शायद उनसे बेहतर कोई नहीं समझ पाया। यह उनकी सबसे बड़ी खासियत बनकर सामने आई। फिल्म बनाने वाले से लेकर दर्शक तक उन बातों की गहराईयों को शायद नहीं समझ पाते थे, जिसे अपनी समीक्षा में चौकसे लिख दिया करते थे, उसके बाद कहीं जाकर लोगों का ध्यान उस बात पर जाता था।
आखिरी सांस तक लिखते रहे
प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक जय प्रकाश चौकसे (Jai Prakash Chouksey) का 83 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने इंदौर (Indore) में अंतिम सांस ली है। चार दिनों पहले ही उन्होंने अपने लोकप्रिय कॉलम ‘पर्दे के पीछे’ का लेख लिखा था। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे, बीमारी के दौरान भी वह लगातार अपने लेख लिखते रहे, लेकिन पिछले दिनों उन्होंने अपने कॉलम के जरिए बताया कि अब वह लेखन के जरिए अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज करा पाएंगे।
बड़े उपन्यासकार थे चौकसे
जय प्रकाश चौकसे (Jai Prakash Chouksey) सिर्फ फिल्म समीक्षक नहीं थे बल्कि एक स्थापित उपन्यासकार और लेखक भी थे। एक दैनिक अखबार में उनका कॉलम ‘पर्दे के पीछे’ खासा लोकप्रिय माना जाता था। इसके अलावा उन्होंने दराबा और ताज बेकरारी नाम के उपन्यास भी लिखे थे, साथ ही राज कपूर के जीवन पर आधारित एक किताब का लेखन भी किया था, जिसका शीर्षक, ‘राजकपूर: सृजन प्रक्रिया’ था।
समीक्षा लिख डाल देते थे जान
उन्होंने फिल्म निर्माण से लेकर फिल्म रियलिटी शो के लिए स्क्रिप्ट राइटिंग का काम भी किया था। इसके अलावा वह फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन बिजनेस से भी जुड़े रहे, लेकिन उनकी असली पहचान फिल्म पत्रकार के रूप में ही रही। चौकसे ने सलमान खान अभिनीत बॉडीगार्ड फिल्म की कहानी भी लिखी थी, जोकि बॉक्स ऑफिस पर बेहद सफल फिल्म रही थी।