गरियाबंद वार्ड नं 9 निवासी बृजलाल ठक्कर का आज सुबह 6.30 बजे निधन हो गया । जिसके बाद परिवार ने उनकी नेत्रदान करने की इच्छा को पूरा करते हुए डॉक्टरों को बुला उनका नेत्र दान किया । लोगों में नेत्रदान की अलख जगाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जाते हैं। नेत्रदान से बड़ा कोई दान नहीं, जिसमें जीव, निर्जीव होकर भी दूसरे के काम आ सकता है। यह ध्येय वाक्य नगर के 94 वर्षीय बुजुर्ग बृजलाल ठक्कर के जेहन में इस कदर बैठ गया कि उन्होंने नेत्रदान करने का प्रण कर लिया। आंखों के बिना इस दुनिया में अंधेरे के अलावा कुछ भी नहीं और शायद इसी कारण पिता की इच्छा का सम्मान कर परिजनों ने उनकी मौत के बाद नेत्रदान किया।
नगर के वार्ड नं 9 निवासी 94 वर्षीय बृजलाल ठक्कर ने मृत्यु से पहले ही प्रण ले लिया था कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी आंखें किसी के काम आ सके और उन्होंने अपने परिजनों को पहले से ही नेत्रदान करने की बात कही थी। अपनी पिता की सराहनीय पहल को लेकर उनके पुत्र हरीश ठक्कर ने अपने पिता की मौत के बाद उनकी आंखें गरियाबंद जिला अस्पताल में दान कर दी । जिस परिवार में घर की मुखिया की मौत हुई हो और उसके द्वारा पूर्व में किये गये घोषणा पर परिवार द्वारा नेत्र दान करना सच में एक साहसिक कदम है। सच में एक नेत्र दान से दो जिंदगियों को रौशनी मिलती है निश्चित तौर पर ठक्कर परिवार का ये दान लोगों के लिए मिसाल बनेगा । डॉ पी सी पात्रे नेत्र रोग विशेषज्ञ,डॉ सविनय बोस,डॉ हरीश चौहान,डॉ दीपिका साहू ने घर पहुंचकर उनका कॉर्निया सुरक्षित किया।
मौत के बाद भी जिंदा रहेंगी बृजलाल भाई की आंखें, देखेंगी दुनिया, पिता की अंतिम इच्छा का सम्मान कर परिजनों ने अंतिम संस्कार से पहले किया नेत्रदान
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