फाल्गुन माह (Phalguna Month) के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। इस साल रंगभरी एकादशी 14 मार्च दिन सोमवार को है. फाल्गुन शुक्ल एकादशी को आमलकी एकादशी भी मनाते हैं.।रंगभरी एकादशी को भगवान शिव ( bhagwan shiv)माता पार्वती को विवाह के बाद पहली बार काशी लेकर आए थे। इस अवसर पर रंग, गुलाल और फूलों से महादेव और माता पार्वती का स्वागत किया गया था।
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इस विधि से पूरा पूजा ( puja)
1.स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनें।फिर हाथ में जल, फूल और अक्षत् लेकर रंगभरी एकादशी व्रत एवं शिव पार्वती की पूजा का संकल्प लेंला।
2. रंगभरी एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है। इस योग में पूजा ( puja)करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
3.पूजा घर में एक चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीर को स्थापित करें। फिर उनका गंगाजल एवं गाय के दूध से अभिषेक करें।अब भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार पुष्प, शहद, सफेद चंदन, शक्कर, अक्षत्, फल, फूल आदि अर्पित करते हुए ओम नम: शिवाय का उच्चारण करते रहें।
4. फिर माता पार्वती को अक्षत्, फूल, सिंदूर, कुमकुम, श्रृंगार सामग्री आदि अर्पित करें और पूजा करें।फिर भगवान शिव और माता पार्वती को लाल या गुलाबी रंग ( pink color)गुलाल चढ़ाएं। उसके बाद धूप, दीप, गंध अर्पित करें। फिर शिव चालीसा|(shiv chalisa ) का पाठ करें। पूजा के अंत में माता पार्वती की आरती और भगवान शिव की आरती घी के दीपक से करें।