“छत्तीसगढ़ की आर्थिक रेललाइन के नाम से बहुचर्चित रावघाट-जगदलपुर रेल लाइन के निर्माण में देरी क्यों, बस्तरवासी हुए लामबंद।”
जगदलपुर ऑफिस डेस्क :- बस्तर की जीवनरेखा और छत्तीसगढ़ की आर्थिक रेललाइन के नाम से बहुचर्चित रावघाट जगदलपुर रेललाइन का निर्माण शुरू करने में देरी के विरोध में बस्तरवासी लामबंद हो गए हैं, बस्तर को मध्य छत्ती -सगढ़ से जोड़ने वाली छह दशक पुरानी इस रेललाइन के दूसरे चरण के अंतर्गत रावघाट-जगदलपुर के बीच (141 किलोमीटर) दोनों छोर से निर्माण कार्य शुरू करने की मांग को लेकर अगले माह से चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा।
इसका बिगुल गुरुवार को यहां बस्तर चैंबर आफ कामर्स भवन में शाम को 50 से अधिक समाजों व कई संघ-संगठनों की बैठक में फूंका गया, इसके पूर्व अंतागढ़, नारायणपुर और कोंडागांव में ऐसी ही बैठकें हो चुकी हैं, 3 अप्रैल को अंतागढ़ से अंहिसा और सच्चाई के नाम से पदयात्रा प्रारंभ होगी और 13 अप्रैल को जगदलपुर में समाप्त होगी।
10 दिनों में करीब 170 किलोमीटर की पदयात्रा में रेललाइन के प्रस्तावित मार्ग में पड़ने वाले बसाहट क्षेत्रों के ग्रामीण भी शामिल होंगे, सर्वआदिवासी समाज, बस्तर चैंबर आफ कामर्स बस्तर परिवहन संघ सरीखे बड़े संगठनों के साथ ही विभिन्ना समाजों से सैकड़ों युवा, महिलाएं, पुरुष पदयात्रा में शामिल होंगे।
पदयात्रा के समापन अवसर पर 13 अप्रैल को जगदलपुर में बड़ी जनसभा होगी, बैठक में लोगों की नाराजगी बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड और इरकान को लेकर ज्यादा दिखाई दी, लोगों का कहना था कि इनके जिम्मे करीब 2600 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली रावघाट-जगदलपुर रेललाइन के निर्माण की जिम्मेदारी है लेकिन इनकी लापरवाही जग-जाहिर है।
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से भी रेललाइन का निर्माण शुरू कराने को लेकर गंभीरता से प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। वक्ताओं ने यहां तक कहा कि अभी तो गांधीवादी तरीके से पदयात्रा कर संदेश दिया जाएगा लेकिन इसके बाद भी यदि रेललाइन निर्माण का काम दोनों ओर से शुरू करने में देरी की गई तो आर्थिक नाकेबंदी करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
बस्तर का लोहा बस्तर से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा, बैठक में पदमश्री धर्मपाल सैनी, प्रोफेसर बीएल झा, दशरथ कश्यप, बचैंका अध्यक्ष मनीष शर्मा, पूर्व अध्यक्ष संतोष जैन, पुखराज बोथरा, किशोर पारख व संपत झा सहित विभिन्ना समाजों व संगठनों के प्रतिनिधि शामिल रहे।