Chhattisgarh News : बहुचर्चित कश्मीर फाईल फिल्म (Kashmir file movie)की पटकथा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर (State Congress Spokesperson Dhananjay Singh Thakur)ने कहा कि इस फिल्म में जिस समय के घटना क्रम का तथा कथित रूप से उल्लेख का दावा किया जा रहा। उस समय देश में अटल, आडवाणी और वीपी सिंह की तिकड़ी केंद्र में सरकार चला रही थी उस दौरान भाजपा नेता जगमोहन कश्मीर के राज्यपाल थे, तब 19 जनवरी 1990 को जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir)से 4 लाख से अधिक हिन्दुओं को कश्मीर छोड़ना पड़ा था। उस दौरान आरएसएस और भाजपा (RSS and BJP)के असल चरित्र को देश ने देखा है। 19 जनवरी 1990 उस दिन केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री थे, जनता दल गठबंधन की सरकार थी जो कि असली राष्ट्रवादी होने का दम्भ भरने वाली बीजेपी के समर्थन से सरकार बनी थी और चल रही थी। भाजपा समर्थित वीपी सिंह सरकार में अलगाववादी नेता मुफ्ती मुहम्मद सईद (Separatist leader Mufti Muhammad Sayeed)देश के गृहमंत्री थे। उस समय जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन था जो कि केंद्र सरकार (Central government)के अधीन होता है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि दिसंबर 1989 में भाजपा के समर्थन से वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने और उस दौरान कश्मीर में जो घटना घटी उस घटना के बावजूद सत्ता लोलुपत्ता में भाजपा ने वीपी सिंह सरकार से न तो समर्थन वापस लिया न ही कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में सुरक्षा प्रदान की। कश्मीर की घटना के दस महीने तक भाजपा वीपी सिंह की सरकार को समर्थन देती रही।लेकिन जब लालू प्रसाद यादव की सरकार ने आडवाणी के रथ को रोक आडवाणी को गिरफ्तार किया तब आडवाणी के समर्थन में भाजपा ने वीपी सिंह की सरकार को गिराया। यानी दस महीने तक भाजपा वीपी सिंह की सरकार के साथ मिलकर सत्ता सुख भोग रही थी और कश्मीर के पंडितो घर छोड़ने मजबूर थे।
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प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा के लिये हिन्दुत्व और हिन्दु सिर्फ राजनीति का विषय है। वह हिन्दुत्व के नाम पर सिर्फ हिन्दु मतो के ध्रुवीकरण की राजनीति करती है। कश्मीर फाईल फिल्म के कथानक के बारे में भाजपाई जिस प्रकार का आचरण कर रहे उससे भी यही स्पष्ट हो रहा कि भाजपाई कश्मीरी पंडितो के अत्याचारों का राजनीतिकरण करना चाह रहे। उनकी पीड़ा से भाजपा को कोई मतलब नहीं। वास्तव में तो उनके विस्थापन का कलंक तो भाजपा के समर्थन वाली सरकार और भाजपाई राज्यपाल के माथे पर है।