ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। नारी के रूप में जन्म के बाद माता-पिता ने उसे अलका सोनी (Alka Soni) नाम दिया था। कुछ साल इसी नाम, इसी पहचान के साथ सहजता से बीते, लेकिन फिर करीब 20 वर्ष की आयु में उसने महसूस किया कि लड़कियों के पहनावे में, लड़कियों जैसे रहन-सहन (girl-like behavior) के साथ वह सहज नहीं है। लेकिन तब समाज में जेंडर अवेयरनेस (gender awareness) नहीं थी, इसलिए खुद को समझने में भी वक्त लगा।
फिर जब माता-पिता को बताया तो उन्होंने साथ तो दिया पर लोकलाज (local law) का हवाला देते हुए समझा दिया। उनकी बात मानकर एक बार फिर नारीत्व (womanhood) के साथ जीवन बिताने की कोशिश की, लेकिन वह असहजता अब भी बनी हुई थी। पहनावा और उठना-बैठना तो पुरुषों जैसा था, मगर समाज में संबोधन स्त्री वाले ही मिले।
मैडम-दीदी का संबोधन करता था आहत
अलका के मुताबिक इस दोहरी जिंदगी से घुटन होती थी। किस-किस से कहता कि मैडम-दीदी (madam-didi) कहकर न पुकारें। यह संबोधन आहत करते थे। इसलिए तय किया कि अब जीवन अपने तरीके से ही जीना है। एक बार विचार आया कि उम्र के 46 साल तो यूं ही बीत गए, पर फिर लगा कि संसार में मेरा आना कैसे होगा इस पर मेरा वश नहीं था, लेकिन जीने का तरीका और दुनिया से जाने का अंदाज मेरा अपना होगा।
जेंडर की सर्जरी के लिए चुना जन्मदिन का दिन
अलका ने बताया उम्र के इस पड़ाव पर आकर मैंने जेंडर अफर्मेशन सर्जरी (gender affirmation surgery) के लिए अपना जन्मदिन 14 मार्च ही चुना। क्योंकि एक तरीके से यह मेरा नया जन्म ही है। सोमवार को मुंबई के एक अस्पताल में जेंडर अफर्मेशन सर्जरी (gender affirmation surgery) कराकर अलका अब अस्तित्व बन गईं।
नया नाम चुना अस्तित्व
उनके मुताबिक- ‘जेंडर अफर्मेशन (gender affirmation) को लेकर अब भी समाज में लोग खुलकर बात नहीं करते। कई भ्रांतियां हैं। कुछ लोग इसे दिमागी फितूर या प्रकृति से छेड़छाड़ कहते हैं। सच यह है कि जो इस कशमकश से गुजरते हैं, वे लोग समझ सकते हैं कि अपने अस्तित्व की लड़ाई कितनी अहम होती है। मैंने अपना अस्तित्व पा लिया और इसीलिए अपना नया नाम भी अस्तित्व चुना, जो भारत सरकार की ओर से मेरे आधार कार्ड व बाकी दस्तावेजों में भी बदल दिया गया है।’
कलेक्टर द्वारा प्रदान किया गया जेंडर सर्टिफिकेट
इंदौर कलेक्टर की ओर से भी मुझे जेंडर सर्टिफिकेट (gender certificate) मिल गया है। अपने आप को समझ लेने के बाद भी 30 साल यूं ही गुजार दिए, पर कोरोनाकाल (corona period) में जब कई अपनों को आंखों के सामने जाते देखा तब अहसास हुआ कि हम कल के प्लान बनाते रहते हैं और जिंदगी एक पल में खत्म हो जाती है। इसलिए जीवन के उत्तरार्ध में पहुंच जाने के बाद भी मैंने यह सर्जरी कराने का फैसला लिया।
23 को को होंगे अस्पताल से डिस्चार्ज
अस्तित्व के परिवार में माता-पिता व दो बहनें हैं। दोनों की शादी हो चुकी है। पिता का पहले सराफा में ज्वेलरी का कामकाज था। उन्होंने प्रोडक्शन इन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा (Diploma in Production in Engineering) किया है। सर्जरी के बाद वो फिलहाल मुंबई (Mumbai) के अस्पताल में ही हैं। अस्तित्व को 23 मार्च को डिस्चार्ज किया जाएगा। सर्जरी के बाद अस्तित्व को किसी तरह की परेशानी नहीं है।
सायकोलॉजिस्ट के अप्रूवल के बाद ही होती है सर्जरी
मुंबई के डॉ. पराग तैलंग (Dr. Parag Tailang) के मुताबिक जेंडर चेंज कराने से पहले सायकोलॉजी टेस्ट (psychology test) होते हैं। जो लिखित और मौखिक लिए जाते हैं। इनमें विशेषज्ञों द्वारा ऐसे सवाल पूछे जाते हैं जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि व्यक्ति किसी के प्रभाव में आकर तो यह नहीं करा रहा। सायकोलॉजिस्ट के अप्रूवल के बाद ही हम सर्जरी कर सकते हैं। शुरुआत हॉर्मोन थैरेपी से होती है। इससे आवाज और बनावट में बदलाव आने लगते हैं। इसके बाद सर्जरी होती है।
महिला से पुरुष यानी ट्रांस मेल बनने की प्रक्रिया के तीन हिस्से हैं।
मैस्टेक्टॉमी जिसमें स्तन हटाए जाते हैं। हिस्टेरेक्टॉमी यानी यूटेरस रिमूवल और फिर फैलोप्लास्टी यानी पुरुष जननांगों का निर्माण। इसमें कोई लाइफ रिस्क नहीं है। बस, छह हफ्ते बेड रेस्ट करना होता है। इसी तरह मेल टू फीमेल प्रोसिजर में स्तन निर्माण किया जाता है।
इंदौर के एक बजनेसमैन 2015 में सर्जरी कराकर बिता रहे नॉर्मल लाइफ कन्फेक्शनरी का बिजनेस करने वाले कबीर गवलानी ने 2015 में दिल्ली में यह सर्जरी कराई थी और ट्रांस मेल बने थे। इस प्रक्रिया को लेकर उन्होंने बताया- ‘जागरूकता और जानकारी नहीं है इसलिए कई लोग जीवन भर इसी उलझन में बिता देते हैं। मैं यह सर्जरी करा चुका हूं और इसमें कोई रिस्क नहीं है और मैं अन्य पुरुषों की तरह बिल्कुल सहज जीवन बिता रहा हूं। मेरी पार्टनर को भी दिक्कत नहीं है।’
इंदौर में ऐसे बढ़ रही जेंडर अवेयरनेस
– शहर में 15 ट्रांस मेल हैं। इनमें से पिछले साल 8 लोगों ने सर्जरी कराई।
– 14 मार्च 2022 तक सात ने बदलवाया जेंडर।
– सर्जरी में 8 से 20 लाख रुपए तक आता है खर्च।