क्या आप भी खुद का बिज़नेस(business ) शुरू करने का सोच रहे है। तो आज के बिज़नेस आईडिया में हम बात करेंगे खस के पौधे की। खस घास की बुवाई नवंबर से फरवरी(feburary ) तक की जा सकती है। खस के पौधे (Vetiver grass) करीब 2 मीटर ऊँचे होते हैं। इसकी पत्तियां 1-2 फुट लंबी, 3 इंच तक चौड़ी हो सकती हैं। खस की पीली-भूरी जड़ जमीन में 2 फुट गहराई(depth ) तक जाती है।
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तो चलिए जानते है खस के पौधे(Vetiver grass) की
1 -इसे बोने के लिए घास के जड़ सहित उखाड़े गये पौधे या कलम (स्लिप) काटकर लगाई जाती है। वर्षा के मौसम के बाद गहरी जुताई करके एक-एक जड़ या कलम 50X50 सेंटीमीटर (centimeter )का अंतर देते हुए बोया जाता है। खस घास (netiver graas )की खेती में खाद डालने की आवश्यकता(importance ) नहीं होती है।
2 -अगर मिट्टी उपजाऊ नहीं है तो बोने के 1 महीने बाद कम्पोस्ट(compost ) खाद, राख आदि डालने से अच्छी वृद्धि होती है। साल भर बाद से घास की कटाई करके बेचा जा सकता है। जड़ों से तेल निकालने के लिए खुदाई का उपयुक्त समय बुवाई के 15-18 महीने बाद का होता है।
3 -खस के पौधे एक बार लगा देने पर 5 साल तक दुबारा बोना नहीं पड़ता(don’t have to re-sow)। खस का एक पौधा भी काफी जगह में फ़ैल जाता है। जड़ के पास यह करीब 1 मीटर व्यास तक फ़ैल सकता है। एक हेक्टेयर क्षेत्र में बोई खस की फसल से करीब 4 से 6 क्विंटल जड़ें प्राप्त होती है। खस की जड़ के आसवन (Distillation) से खस का तेल निकाला जाता है।
कैसे करे खस की खेती की सिंचाई – (How to irrigate the cultivation of khus)
बहुत गर्मी में भी महीने में 1-2 बार सिंचाई कर दें। सम्भव हो तो बारिश के मौसम के अलावा 15-20 दिनों में सिंचाई कर देनी चाहिए, इससे जड़ों में तेल की मात्रा बढ़ जाती है। बहुत ठंडी या गर्मी(summer ) का भी खस की फसल पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। खस की खेती अन्य फसलों के साथ जैसे मैंथा आदि की जा सकती है।
अगर बारिश हो जाए तो 1-2 बारिश भी इसकी सिंचाई(irrigate ) के लिए पर्याप्त है। बारिश अगर ज्यादा हो तो भी कोई नुकसान नहीं। 10-15 दिन पानी से भरे खेत में भी खस की फसल गलती या खराब नहीं होती।