इन दिनों विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) काफी चर्चा में है. कश्मीरी पंडितों के दर्द का बयां करने वाली इस फिल्म को यूपी, हरियाणा, राजस्थान समेत कई राज्यों में टैक्स फ्री (Tax Free) कर दिया है. जिसके बाद इन राज्यों में फिल्म की टिकट सस्ती हो गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी फिल्म को टैक्स फ्री करने से क्या होता है और इसे कैसे किया जाता है? आइए बताते हैं.
फिल्म की टिकट के होते हैं दो हिस्से
किसी भी फिल्म की टिकट के दो हिस्से होते हैं. पहला बेस प्राइस और दूसरा उस पर लगने वाला टैक्स. बेस प्राइस के लिये सीधे तौर पर फिल्म का बजट जिम्मेदार होता है. वहीं टैक्स को राज्य सरकार और केंद्र सरकार State Government and Central Government के बीच स्टेट जीएसटी और सेंट्रल जीएसटी के रूप में बांटा जाता है. दिसंबर 2018 में फिल्मों के टिकट के लिये 2 टैक्स स्लैब तय किए गए थे. इसमें 100 रुपये तक के टिकट पर 12 प्रतिशत और इससे ज्यादा के टिकट पर 18 प्रतिशत का टैक्स है।
अपने हिस्से का टैक्स माफ कर सकता है राज्य
लेकिन जब कोई राज्य किसी फिल्म को टैक्स फ्री कर देता है, तो इसका मतलब है कि टिकट की कीमत में से राज्य के हिस्से का GST माफ कर देना. अगर टिकट 100 रुपये से महंगा है तो टिकट में बेस प्राइस के 9 फीसदी की ही कमी आती है. अगर टिकट का बेस प्राइस 400 रुपये का है तो सभी टैक्स लगाकर टिकट 464 रुपये का पड़ेगा. वहीं टैक्स फ्री होने पर टिकट 436 रुपये देने होंगे और दर्शकों के 36 रुपये बचेंगे. सेंट्रल जीएसटी के तौर पर टैक्स दर्शकों को देना ही होता है।
इस तरह की फिल्मों को किया जाता है टैक्स फ्री
द कश्मीर फाइल्स से पहले भी कई फिल्मों को टैक्स फ्री किया जा चुका है. आमतौर पर राज्य सरकारें उन फिल्मों को टैक्स फ्री करती हैं, जो किसी न किसी मायने में आम लोगों पर पॉजिटिव असर छोड़ती हैं. या फिर उनके लिए उसे देखना जरूरी समझा जाता है. जैसे- प्रेरित करने वाली फिल्में, राष्ट्रीय स्तर की शख्सियत पर बनी फिल्में और सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने वाली फिल्में. उदाहरण के लिए दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘छपाक’ को कई कई राज्यों की सरकार ने टैक्स फ्री किया था. वहीं, यूपी ने भी अजय देवगन की फिल्म ‘तान्हाजी: द अनसंग हीरो’ को टैक्स फ्री घोषित किया था।