रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia-Ukraine War) में भारत से मेडिकल की पढ़ाई (Medical Education) के लिए यूक्रेन (Ukraine) गए छात्र नवीन शेखरप्पा (Naveen Shekhrappa) की मौत हो गई थी। रूस—यूक्रेन के बीच जंग (Russia-Ukraine War) अब भी जारी है, इस बीच नवीन शेखरप्पा (Naveen Shekhrappa) का पार्थिव शरीर (Dead Body) भारत लाया गया है। कर्नाटक के इस होनहार छात्र की मौत ने पिता शंकरप्पा (Shankarappa) को बुरी तरह से झकझोड़ दिया है। अपने जवान बेटे की पार्थिव काया देखकर उनकी स्थिति का आकलन नहीं लगाया जा सकता।
नवीन की मौत को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी नवीन के पिता शंकरप्पा से फोन पर बात की थी और संवेदना व्यक्त करते हुए ढांढस भी बंधाया था। हालांकि उनका दुख इतना था, जिसे शब्दों से बयान नहीं किया जा सकता।
नवीन की पार्थिव काया कर्नाटक के हावेरी जिले में स्थित पैतृक गांव पहुंच चुका है, जहां पर अंतिम संस्कार के पूर्व पूजा विधि संपन्न कराया गया है। इसके बाद नवीन (Naveen) के पिता शंकरप्पा ने अपने बेटे के शरीर को डोनेट (Body Donate) करने का ऐलान कर दिया।
कर्नाटक: यूक्रेन में मारे गए भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा का पार्थिव शरीर हावेरी ज़िले में उनके पैतृक स्थान पहुंचा, यहां पर नवीन शेखरप्पा को श्रद्धांजलि दी जा रही है। pic.twitter.com/nYKPzZmAi2
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 21, 2022
क्या कहा दुखी पिता ने
नवीन के पिता शंकरप्पा (Shankarappa) ने कहा कि उनका बेटा होनहार था। उसने मेडिकल कॉलेज (Medical College) में दाखिला के लिए कड़ी मेहनत की। 97 फीसदी अंक लेकर वह पास हुआ और उसे उम्मीद थी कि उसे दाखिला मिल जाएगा, लेकिन नहीं मिला। वह डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना चाहता था, जिसके चलते ही वह यूक्रेन (Ukraine) गया था, लेकिन उसके डॉक्टर बनने (Become A Doctor) का सपना पूरा नहीं हो सका।
पहले पूजा होगी, उसके बाद बॉडी को दर्शन के लिए रखा जाएगा और शाम को उसकी बॉडी को एस.एस.अस्पताल दावणगेरे को डोनेट करेंगे। उसका बचपन से डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करने का इरादा था लेकिन उसे यहां मेडिकल सीट नहीं मिल पाई:यूक्रेन में गोलाबारी में मारे गए भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा के पिता pic.twitter.com/ayHkgTe84q
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 21, 2022
उसका शरीर काम आएगा
पिता शंकरप्पा ने अपने बेटे की मौत को लेकर कहा कि जीते जी उसका सपना पूरा नहीं हो सका, उसे भारत के मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं मिला, पर अब उसकी बॉडी को एस.एस.अस्पताल दावणगेरे को डोनेट करेंगे। उसका बचपन से डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करने का इरादा था लेकिन उसे यहां मेडिकल सीट नहीं मिल पाई। अब उसका शरीर डॉक्टरों को सीखने में मददगार साबित होगा।